Birbal Ke Kisse in Hindi: हिंदू धर्म में जिस तरह से कृष्ण-सुदामा और राम-सुग्रीव की दोस्ती का जिक्र आता है. उसी तरह इतिहास के पन्नों में अकबर-बीरबल की दोस्ती के किस्से भी दर्ज हैं. कहने को तो अकबर बादशाह थे और बीरबल उनके मंत्री लेकिन राजा-मंत्री की ये दोस्ती खूब मशहूर थी.
बीरबल मुगल बादशाह के नवरत्नों में लोकप्रिय दरबारी थे और अकबर को भी प्रिय थे. अकबर बीरबल के गुणों और उसकी बुद्धि के कायल थे. अपनी बुद्धिमानी और समझदारी के कारण ही बीरबल उनके खास बन गए. बीरबल की कहानियां आज भी लोगों के बीच खूब चर्चित है. बीरबल के जीवन से जुड़े किस्सों में नैतिकता का ज्ञान प्राप्त होता है. आज आपके लिए बीरबल के किस्से (Birbal Ke Kisse) में लेकर आए हैं ऐसी कहानी, जिससे बीरबल की चतुराई का पता चलता है और हार न मानने की सीख मिलेगी.
बीरबल के किस्से: हरा घोड़ा
एक दिन बादशाह अकबर बीरबल के साथ बाग में घूमने गए. बाग में चारों ओर हरे-भरे घास, खूबसूरत फूल और पेड़-पौधे देख अकबर को बहुत आनंद आया. अबकर ने सोचा कि इस खूबसूरत और हरे-भरे बाग की सैर करने के लिए घोड़ा भी हरे रंग का होना चाहिए. उन्होंने बीरबल से कहा कि, तुम एक हफ्ते में मेरे लिए हरे रंग के घोड़े का इंतजाम करो और अगर तुम हरे रंग का घोड़ा नहीं ला सके तो मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना. अकबर को पता था कि, बीरबल इतनी जल्दी हार मान जाने वालों में नहीं था. इसलिए उन्होंने यह काम अपने खास मंत्री बीरबल को सौंपी.
लेकिन हरे रंग का घोड़ा होता ही नहीं है, ये बात अकबर और बीरबल दोनों को मालूम थी. बादशाह अकबर तो बस बीरबल की परीक्षा ले रहे थे. इस तरह से सात दिन बीत गए और आठवां दिन आ गया, जब बीरबल को हरे रंग का घोड़ा लेकर राज दरबार में पेश होना था.
बीरबल दरबार में हाजिर हुए और अकबर से कहा, जहांपनाह, मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है. अकबर ने आश्चर्यपूर्वक कहा- अच्छा तो फिर जल्दी दिखाओ हरा घोड़ा कहां है? बीरबल ने कहा कि, घोड़े के मालिक ने यह शर्त रखी है कि, वह हरा घोड़ा तभी देगा जब आप घोड़ा लेने स्वयं जाएंगे. अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा. यह तो बहुत आसान शर्त है. दूसरी शर्त क्या है?
बीरबल ने कहा कि, जहांपनाह, दूसरी शर्त यह है कि, घोड़े के मालिक ने कहा है कि, हरे रंग का घोड़ा बहुत खास है. इसलिए उसे आपको खास दिन में जाकर ही लाना होगा. उसके मालिक ने कहा है कि, सप्ताह के सात दिनों के अलावा जो भी दिन आए उस दिन आकर हरा घोड़ा ले जाए. बीरबल की चतुराई भरी बातें सुनकर अकबर को हंसी आ गई. अकबर एक बार फिर से बीरबल की चतुराई से खुश हुए और यह समझ गए बीरबल को मुर्ख बनाना या हराना आसान नहीं है.
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