Birbal Ke Kisse in Hindi: हम सभी के साथ अक्सर ऐसा होता है कि, जब कोई काम बिगड़ जाता है या हम बीमार पड़ जाते हैं तो इसका कारण हम किसी दूसरे को मान लेते हैं और कहते हैं कि अमूक व्यक्ति हमारे लिए मनहूस है, जिसकी वजह से हमारा काम बिगड़ गया.


बीरबल के किस्से (Birbal Ke Kisse) में आज आपको बताएंगे ऐसी कहानी के बारे में, जिससे बीरबल की चतुराई का पता चलता है और साथ ही यह सीख मिलती है कि कभी भी कोई इंसान मनहूस नहीं होता, बल्कि सबसे बड़ा मनहूस व्यक्ति खुद ही होता है.


बीरबल के किस्से: सबसे बड़ा मनहूस कौन


एक बार बादशाह अकबर को बहुत प्यास लगी थी. उन्होंने बिस्तर से ही अपने सेवकों को पानी लाने का आदेश दिया. लेकिन कोई उनकी बात नहीं सुन सका. उसी समय अकबर के कमरे के पास से कूड़ा साफ करने वाला एक सेवक गुजर रहा था. उसने देखा कि अकबर को बहुत प्यास लगी है और आसपास कोई सेवक भी नहीं है. इसलिए वह खुद ही उनके लिए पानी ले आया. अकबर को बहुत जोरों की प्यास लगी थी, इसलिए उसने तुरंत पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई. जब अकबर की नजर उस कूड़ा उठाने वाले सेवक पर पड़ी तो वह चौंक गया.


अकबर की प्यास बुझाना नौकर को पड़ा भारी


इतने में अकबर के कुछ खास सेवक कमरे में पहुंच गए और कूड़ा उठाने वाले को तुरंत कमरे से बाहर निकाल दिया. अकबर भी पानी पीकर सो गए. लेकिन कुछ देर बाद अकबर का पेट खराब होने लगा और दिन ढलते-ढलते तबियत ज्यादा बिगड़ गई.


अकबर की तबियत में सुधार के लिए बड़े-से-बड़ा हकीम बुलाया गया. लेकिन कोई दवा काम न आई और तबीयत बिगड़ती चली गई. तब राज वैद्य ने अकबर को किसी ज्योतिष बुलवाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि, जहांपनाह! हो सकता है कि आप पर कसी मनहूस व्यक्ति का साया पड़ गया है. इसलिए आपकी तबियत ठीक नहीं हो रही है. अकबर भी राज वैद्य की बात मान गए और इसके बाद दरबार में ज्योतिष को बुलाने का आदेश दिया.


इस बीच अकबर भी सोचने लगे कि, कहीं सच में तो किसी मनहूस व्यक्ति की परछाई मुझपर नहीं पड़ गई. मैंने तो आज कूड़ा साफ करने व्यक्ति के द्वारा लाया हुआ पानी पिया था. इसके बाद अकबर ने तुरंत उस कचरा साफ करने वाले को सजाए मौत सुना दी और सिपाहियों ने उसे जेल में डाल दिया.


बीरबल ने चतुराई से बचाई नौकर की जान


कुछ समय बाद इन सारी बातों का पता बीरबल को चला और वह तुंरत उस कचरा साफ करने वाले के पास गए और कहा, तुम चिंता मत करो मैं किसी-न-किसी तरकीब से तुम्हें बचा लूंगा. इसके बाद बीरबल अकबर के पास गए और उनसे पूछा- आपको क्या हुआ? कैसे इतने बीमार पड़ गए?


अकबर ने कहा, बीरबल एक मनहूस इंसान की छाया मुझपर पड़ गई और मैं बीमार हो गया. यह सुनते ही बीरबल जोर-जोर हंसने लगे. बीरबल को हंसता देख अकबर ने कहा, तुम मेरी बीमारी पर हंस रहे हो. बीरबल ने कहा, नहीं-नहीं बादशाह, मैं तो बस ये कह रहा हूं कि, अगर मैं आपके पास उस कूड़ा उठाने वाले से भी बड़ा मनहूस इंसान ले आऊं तो क्या आप उसकी सजा माफ कर देंगे. अकबर ने कहा, उससे भी बड़ा मनहूस कोई हो सकता है क्या? चलो, तुम किसी बड़े मनहूस को ले आए तो मैं उसकी सजा माफ कर दूंगा.


जब बीरबल ने अकबर को कहा मनहूस


बीरबल ने जवाब दिया कि, उससे बड़े मनहूस तो आप खुद ही हैं. उस बेचारे नौकर ने तो आपकी प्यास बुझाने के लिए आपको पानी दिया और आपको लग रहा कि उसकी छाया पड़ने से आपकी तबियत बिगड़ गई. उस बेचारे के बारे में तो सोचिए. वो तो बेचारा आपको पानी पिलाने की वजह से जेल में पहुंच गया. उसके लिए तो आप सबसे बड़े मनहूस हुए, जिसे सुबह-सुबह देखने के कारण और मदद करने के कारण उसका जीवन बर्बाद हो गया और अब कुछ देर में उसे मौत की सजा मिलेगी. ऐसे में आप ही बताइए कि, तबियत खराब होना बड़ी मनहूसियत है या मौत की सजा.


बीरबल की ऐसी बुद्धिमता बातें सुनकर बीमार पड़े अकबर को भी जोर से हंसी आ गई और उन्होंने तुरंत सैनिकों को आदेश दिया कि, उस कचरा साफ करने वाले को को जेल से रिहा करे.


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