Lakshmi Ji: शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से धन की देवी लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं. लक्ष्मी जी का आशीर्वाद बहुत ही आवश्यक माना गया है. लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि की देवी माना गया है, जब इनकी कृपा होती है तो व्यक्ति का जीवन सुखों से भर जाता है. घर में धन-धान्य की स्थिति कभी कम नहीं होती है. 


पंचांग 13 मई 2022 (13 May 2022 panchang)
आज का पंचांग विशेष है. आज वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. इस दिन मोहिनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है. शास्त्रों में लक्ष्मी जी को विष्णु भगवान की पत्नी बताया गया है. आज लक्ष्मी जी की पूजा के ये विशेष संयोग बन रहे हैं-



  • आज की तिथि (Aaj Ki Titi)- द्वादशी - 17:29:06 तक

  • आज का नक्षत्र (Aaj Ka Nakshatra) - हस्त - 18:49:23 तक

  • आज का योग (Aaj Ka Yog)- वज्र - 15:41:11 तक

  • चंद्रमा गोचर (Today Moon Transit)- कन्या राशि में

  • शुक्र गोचर (Venus Transit 2022)- मीन राशि में

  • अभिजीत मुहूर्त (Today Abhijit Muhurat)- 11:50:33 से 12:44:39 तक

  • आज का राहुकाल (Aaj Ka Rahu Kaal)- 10:36:10 से 12:17:36 तक


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लक्ष्मी जी को कैसे करें प्रसन्न
लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए स्वच्छता के नियमों का पालन करते हुए लक्ष्मी जी की पूजा करें. शाम के समय घी का दीपक घर के मुख्य दरवाजे पर जलाएं. घर की छोटी बच्चियों को प्रसन्न रखें उन्हें उपहार आदि प्रदान करें. इसके साथ ही इस आरती का पाठ करें-


लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ki Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता।
सूर्य, चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्तु न कोई पाता।
खान पान का वैभव सब तुमसे आता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
शुभ्र गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता।।
ओम जय लक्ष्मी माता।
लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।


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