Krishna leela : अमर प्रेम का जिक्र होते ही पहला नाम राधा-कृष्ण का लिया जाता है. मगर कृष्ण की पत्नी के तौर पर हम रुकमणि को ही जानते हैं. कहा जाता है कि राधा-कृष्ण का मेल कभी नहीं हुआ. मगर ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार यदुवंशियों के कुलगुरु गर्ग ऋषि द्वारा लिखी गर्ग संहिता की कथा के अनुसार कृष्ण और राधा का विवाह बचपन में ही हो गया था. 



कहा जाता है कि एक बार नंदबाबा कृष्ण को लेकर बाजार गए थे, वहीं उन्हें एक सुंदर और अलौकिक कन्या दिखाई दी, जो कि राधा थीं. कृष्ण और राधा पहली बार यहीं मिले थे. उस स्थान को आज भी संकेत तीर्थ नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि वह जगह नंदगांव और बरसाने के बीच पड़ती है, जहां आज एक मंदिर भी है. यह भी माना जाता है कि पिछले जन्म में दोनों ने तय किया था कि अगले जन्म में वह राधा-कृष्ण के रूप में जन्म लेंगे तो पहली बार यहीं मिलेंगे.

ब्रह्माजी ने जंगल में कराया था विवाह 
गर्ग संहिता के अनुसार जंगल में खुद ब्रह्मा ने राधा और कृष्ण का गंधर्व विवाह कराया था. मान्यता है कि कृष्ण अक्सर पिता के साथ भंडिर ग्राम जाते थे, जहां वे राधा से मिले. एक दिन कृष्ण भंडिर ग्राम पहुंचे अचानक मौसम बदल गया. तेज हवाओं के साथ वर्षा होने लगी. देखते ही देखते अंधेरा सा हो गया. कृष्ण बाल्यावस्था से किशोरावस्था में आ गए. तभी ब्रह्माजी ने प्रकट होकर दोनों की मंशा जानते हुए राधा की सहेलियों विशाखा और ललिता की उपस्थिति में राधा-कृष्ण का गंधर्व विवाह करवा दिया. विवाह पूरा होते ही माहौल पूर्व जैसा हो गया और ब्रह्माजी समेत राधा, विशाखा और सरिता अंतध्र्यान हो गए. 
 
जानिए क्या है गंधर्व विवाह 
प्राचीन भारतीय में आठ तरह के विवाह की मान्यता है. इनमें एक है गधर्व विवाह. इसमें वर और वधु अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे को पति-पत्नी मानते हैं. फिर चाहे वे ब्रह्म विवाह के नियमों के विरुद्ध ही क्यूं न हो, यानी दोनों अलग वर्ण, जाति, समुदाय से हों या दूसरे किसी कारण से विवाह नहीं हो पा रहा हो. इसमें माता-पिता या परिवार का भी होना जरूरी नहीं बताया गया है.


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