पहले समय में लोग घरों में अधिकतर पीतल के बर्तन ही इस्तेमाल करते थे. पीतल के अलावा कांसे, लोहे या तांबे के बर्तन ही प्रयोग में लाए जाते थे. लेकिन अब सुविधा को ध्यान में रखते हुए पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल बेहद ही कम हो गया है.


अब लोग घरों में अधिकतर स्टील के बर्तन ही रखते हैं. एक तो यह इस्तेमाल मे आसान हैं और दूसरा रखरखाव में भी. लेकिन फिर भी पीतल के बर्तनों को फिर से इस्तेमाल में लाना चाहिए क्योंकि इन बर्तनों में बना भोजन ना केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के नज़रिए से भी लाभदायक होता है. 


शास्त्रों में भी बताया गया है पीतल का महत्व


पीतल का महत्व ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में भी बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो पीतल का पीला रंग देवगुरु बृहस्पति से संबंधित है इसीलिए पीतल पर बृहस्पति का आधिपत्य होता है। बृहस्पति ग्रह की शांति करनी हो तो पीतल का इस्तेमाल किया जाता है. 


कई तरह से फायदेमंद हैं पीतल के बर्तन




  • चूंकि पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है इससे गैस व ईंधन की बचत होती है.

  • पीतल धातु काफी मजबूत होती है जिसके बर्तन काफी मजबूत बनते हैं. 

  • पीतल के कलश में रखा जल पीया जाए तो इससे ऊर्जा मिलती है. 

  • कन्यादान के समय पीतल का कलश प्रयोग किया जाए तो अति शुभ माना जाता है।

  • बालक के जन्म पर नाल छेदने के बाद पीतल की थाली को पीटा जाता है। माना जाता है कि इससे पितृगण को बताया जाता है कि आपके कुल में पिंडदान करने वाले वंशज का जन्म हो चुका है।

  • धन प्राप्ति के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण पर शुद्ध घी से भरा पीतल का कलश चढ़ाना चाहिए.

  • वैभवलक्ष्मी का पूजन में पीतल के दीये में जोत जलानी चाहिए.

  • कहते हैं पीतल की कटोरी में दही भरकर पीपल के नीचे रखें तो दुर्भाग्य मिट जाता है.

  • धनतेरस पर खरीदना चाहिए पीतल का बर्तन


धनतेरस पर ज़रुर खरीदें पीतल के बर्तन


कहते हैं भगवान धन्वं‍तरि को पीतल का पात्र अति प्रिय है इसीलिए धनतेरस के दिन पीतल का बर्तन अवश्य रूप से खरीदना चाहिए.इससे भगवान धनवंतरि का आशीर्वाद मिलता है.