Buddha Amritwani, Gautam Buddha Story: ‘बुद्धिमान’ (Intelligent) यह ऐसा शब्द है जिसे तारीफ और तंज दोनों की अंदाज में कहा जाता. यदि कोई काम बिगड़ जाता है तो उसे तंज कसते हुए कहा जाता है कि खुद को बुद्धिमान न समझो. वहीं यदि किसी कार्य को सफलापूर्वक कर दिया जाता है या किसी मुश्किल परिस्थिति का हल निकाल लिया जाता है तो हम कहते हैं बहुत बुद्धिमान है. लेकिन प्रश्न यह है कि, वास्तव में बुद्धिमान कौन है और कैसे बना जा सकता है बुद्धिमान.


बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध के विचार और कहानियों से व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है. गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी ऐसी एक नहीं बल्कि कई कहानियां हैं, जिससे कई समस्याओं का हल मिलता है. इन्हीं में एक है बुद्धिमान होने की परिभाषा. बुद्धिमान की परिभाषा और इसका सही अर्थ गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक कहानी पर आधारित है.


बुद्धिमान से जुड़ी गौतम बुद्ध की कहानी


एक गांव में एक लड़का था, जिसका दिमाग बहुत तेज था. उसकी यह खासियत थी कि वह किसी भी चीज को बहुत ही आसानी और कम समय में सीख लेता था. जबकि उसी चीज को सीखने और समझने के लिए अन्य लोगों को काफी समय लग जाता था. लड़के की यह ख्याति दूर-दूर तक फैल गई. सभी लड़के की तारीफ में कहने लगे कि उसके जितना बुद्धिमान कोई नहीं है. लड़का चित्रकारी, मूर्ति बनाना, गीत गाना जैसे अन्य कई चीजों को जानता था. अपनी प्रसिद्धि को बढ़ाने के लिए वह अन्य काम और चीजों को भी सीखने लगा. इस तरह से उसे अपनी बुद्धिमता पर अहंकार हो गया, क्यूंकि वह साधारण व्यक्ति होकर कई असाधरण काम भी आसानी से करने लगा था.


एक दिन लड़के का सामना भगवान गौतम बुद्ध से हुआ. लड़के को खुद पर खूब अंहकार था और इस कारण उसे किसी से ईर्ष्या नहीं होती थी, क्योंकि वह खुद को ही श्रेष्ठ समझता था. लेकिन पहली बार उसे गौतम बुद्ध को देख ईर्ष्या हुई और वह अपनी तुलना बुद्ध के साथ करने लगता है.


वह देखता है कि बुद्ध के पास भिक्षा मांगने के लिए एक कटोरा है और उसके पास अपार धन. बुद्ध ने साधारण वस्त्र धारण किए थे और उसके वस्त्र कीमती थे. बुद्ध नंगे पैर थे और वह नंगे पांव जमीन पर पैर भी नहीं रखता था. इस तरह से लड़का एक नहीं बल्कि कई चीजों से गौतम बुद्ध के साथ अपनी तुलना करने लगा. हर चीज से तुलना करने के बाद वह मन ही मन सोचता है कि आखिर मैं इस भिक्षु के साथ अपनी तुलना क्यों कर रहा हूं? जबकि इसका और मेरा जीवन बिल्कुल अलग है.


वहां मौजूद सभी लोग गौतम बुद्ध का सम्मान कर रहे थे. लड़का सोचने लगा कि आखिर इनमें ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है, जिस कारण मेरे भीतर इनके प्रति ईर्ष्या पैदा हो गई. अपने मन में चल रही जिज्ञासा को शांत करने के लिए वह बुद्ध के पास जाता है.


वास्तव में कौन है बुद्धिमान


बुद्ध के पास जाकर वह कहता है, मैं इस गांव का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूं और आप अपने आसपास जो भी देख रहे हैं, मैं वह सब करना जानता हूं. मैं किसी भी कार्य को बहुत कम समय में सीख लेता हूं. इसलिए सभी लोग मेरा सम्मान करते हैं. लेकिन फिर भी आपको देख मेरे भीतर ईर्ष्या पैदा हो गई. इसलिए मैं जानना चाहता हूं कि आपकी उपलब्धि क्या है?  सभी आपको इतना आदर-सम्मान क्यों दे रहे हैं?


लड़के के सवाल का जवाब देते हुए बुद्ध कहते हैं, मेरी कोई उपलब्धि नहीं है. लेकिन तुम कह सकते हो कि मेरी यही एक उपलब्धि है. बुद्ध लड़के से पूछते हैं, क्या तुम्हे निंदा अच्छी लगती है? लड़का कहता है कि भला किसे निंदा अच्छी लग सकती है? बुद्ध कहते है कि, जो तुम्हे अच्छा और बुरा लगता है, मैं इनसे भी ऊपर हूं. मुझे ना निंदा सताती है और ना अपनी प्रशंसा से प्रसन्न होता हूं. यही अंतर है तुममे और मुझमे. बुद्ध कहते हैं, तुमने सैकड़ों काम सीखें लेकिन सबसे जरूरी काम को सीखना भूल गए. लड़का पूछता है, कौन सा काम?


बुद्ध ने दिया बुद्धिमान होने का ज्ञान


बुद्ध कहते हैं कि, क्या तुम्हें मन को नियंत्रण करना आता है? यह बात सुनकर लड़का समझ जाता है कि उसे बुद्ध से ईर्ष्या क्यों हुई. बुद्ध कहते हैं, जिसने संपूर्ण जगत जीत लिया, लेकिन अपने मन को नहीं जीत पाया, उसने कुछ भी नहीं जीता. वहीं जिसने अपने मन को जीता लेकिन अपना सबकुछ गंवा दिया फिर भी उसने सब कुछ जीत लिया.


बुद्ध की यह बात सुन लड़के का अहंकार टूट गया. उसने बुद्ध से कहा कि, क्या आप मुझे अपने मन को जीतना सिखा सकते हैं? बुद्ध कहते है जरूर, लेकिन इसके लिए मैं तुम्हारी सभी उपलब्धियां छीन लूंगा. लड़का कहता है मैं तैयार हूं. इसके बाद से ही लड़का ध्यान लगाने लगता है. क्यूंकि ध्यान से ही मन को वश में किया जा सकता है.


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