Buddha Amritwani: बुद्ध की इस अमृतवाणी से सीखिए चीजों की उपयोगिता का महत्व, जीवन में बहुत काम आएगी
Buddha Amritwani: कई चीजों को हम बेकार समझकर फेंक देते हैं. लेकिन जीवन में हर एक चीज उपयोगी है और जरूरत के अनुसार हर चीज का प्रयोग किया जा सकता है. गौतम बुद्ध की यह कहानी वस्तु के अहमियत को बताती है.
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Gautam Buddha Amritwani in Hindi: महात्मा गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे. बुद्ध राजपाट, सांसारिक और पारिवारिक मोह का त्यागकर दिव्य ज्ञान की खोज में निकल पड़े. उन्होंने वर्षों बिहार के बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की.
बुद्ध के विचार, ज्ञान, उपदेश और अनमोल वचन से लोगों का जीवन बदल जाता है. यही कारण है कि बौद्ध धर्म और गौतम बुद्ध को मानने वाले भारत समेत कई देशों में हैं. अगर आप भी अपने जीवन को ज्ञान के प्रकाश से उज्जवल बनाना चाहते हैं और जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं तो बुद्ध के विचारों को जरूर अपनाएं.
गौतम बुद्ध के जीवन से कई प्रेरणादायक कहानियां जुड़ी हैं, जिसमें जीवन का सार और ज्ञान छिपा है. आज बुद्ध की अमृतवाणी में जानेंगे वस्तुओं के उपयोग के बारे में. कई बार लोग चीजों को बेकार समझकर या केवल एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं. लेकिन चीजों की अहमियत को समझना मनुष्य के गुणों को दर्शाता है. यह कहानी जुड़ी है गौतम बुद्ध और उनके एक भक्त से.
बुद्ध की प्रेरक कहानियां
एक बार गौतम बुद्ध के एक भक्त ने उनके कहा कि- प्रभु! मुझे आपसे कुछ निवेदन करना है. बुद्ध ने कहा, बताओ क्या कहना है? भक्त ने बुद्ध से कहा कि, प्रभु मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं और अब ये धारण करने योग्य नहीं हैं. आप कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें. बुद्ध ने देखा कि सचमुच में भक्त के वस्त्र बहुत पुराने और पूरी तरह से जीर्ण हो चुके थे. इतना ही नहीं कपड़े जगह-जगह से घिस भी चुके थे. बुद्ध ने तुरंत अपने भक्त को एक नया वस्त्र देने का आदेश दिया.
कुछ दिन बीतने के बाद बुद्ध अपने भक्त के आश्रम पहुंचे. बुद्ध ने उससे पूछा कि, क्या अब तुम अपने नए वस्त्रों में आरामदायक महसूस कर रहे हो. क्या तुम्हें और भी किसी चीज की जरूरत है तो बताओ. भक्त ने कहा, धन्यवाद प्रभु. मैं इन वस्त्रों में बहुत आराम महसूस कर रहा हूं मुझे इसके अलावा और वस्त्रों की फिलहाल आवश्यकता नहीं है. बुद्ध बोले कि अब जब तुम्हें नए वस्त्र मिल गए हैं तो तुमने अपने पुराने वस्त्रों का क्या किया?
भक्त ने बुद्ध से कह कि, मैंने अब उसे ओढने के लिए प्रयोग कर रहा हूं. बुद्ध बोले, तो फिर तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया? भक्त ने कहा, जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की तरह लगा दिया है, क्योंकि परदे पुराने हो गए थे. बुद्ध ने फिर से भक्त से पूछा कि, तो क्या तुमने पुराने परदे फेंक दिए. भक्त ने कहा, नहीं-नहीं प्रभु मैं तो परदे के टुकड़े कर उसे रसोई में गर्म पतीलों को आग से उतारने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं.
बुद्ध ने कहा ओह, तब तो फिर रसोई के पुराने कपड़े को तुमने फेंक दिया होगा. भक्त ने कहा अब मैं रसोई के कपड़े को पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूंगा. बुद्ध बोले तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ. भक्त ने कहा, प्रभु वो बहुत तार-तार हो चुका था और उसका कुछ नहीं किया जा सकता था. इसलिए मैंने उसके एक-एक धागे निकालकर अलग कर दिए और बत्तियां बनाकर तैयार कर ली. उन्हीं में से एक बाती कल मैंने आपके कक्ष में प्रकाशित किया था. बुद्ध अपने भक्त से बहुत प्रसन्न हुए. क्योंकि भक्त में यह समझ थी कि, पुरानी वस्तुओं का कहां और कैसे प्रयोग किया जा सकता है.
सीख: ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो वस्तुओं को बर्बाद नहीं करते. आज लोग एक कपड़े को एक से दो बार पहनकर हटा कर देते हैं. थाली में भोजन तो भरकर ली जाती है. लेकिन खाने से अधिक भोजन नाले में जाता है. आज आधुनिक युग में हमें ऐसी ही समझ की जरूरत है. लेकिन निराशावश हम ऐसे दौर में हैं, जहां पुराने कपड़ों का पोछा बनाने वालों पर मीम बनाई जाती है. आप पुराने कपड़ों का भले ही पोछा न बनाएं. लेकिन वस्तु की उपयोगिता को समझें और उपयोग की जाने वाली चीजों को नष्ट करने से बचें. फिर चाहे वह पुराने वस्त्र हो, भोजन हो, जल हो या अन्य कोई भी चीज. इस बात का ध्यान रखें कि प्रकृति और जीवन में मिला सबकुछ धन्य और अमूल्य है.
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