Buddha Amritwani, Gautam Buddha: बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध ने जीवनभर लोगों को अहिंसा और करुणा का भाव सिखाया. उनके द्वारा दी गई सीख और विचारों से व्यक्ति सफल जीवन की ओर आगे बढ़ता है. यही कारण ही कि भारत समेत कई देशों में बुद्ध को मानने वाले लोग हैं.
गौतम बुद्ध कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताते हैं, जिससे आपका खुशहाल जीवन बर्बाद हो सकता है. इसलिए आज ही इन गलतियों को करना बंद कर दें. जानते हैं क्या है वो गलतियां.
सलाह और ज्ञान उसी को दें जिसे आवश्यकता है
कई बार हम सामने वालें की नजरों में खुद को बुद्धिमान दिखाने के लिए भी सलाह देने लगते हैं. फिर चाहे सामने वाले को आपके सलाह की जरूरत रहे या नहीं. ऐसे लोग बुद्धिमान की जगह मुर्ख साबित होते हैं. सलाह देने वाले लोग भी दो तरह के होते हैं. एक वो जो बड़ी बड़ी बाते कहते हैं लेकिन सामने वालों पर उनकी बातों का कोई असर नहीं होता है. वहीं दूसरे ऐसे लोग जो यदि एक शब्द भी कह दे तो लोगो का हदय कांप उठता है. इसलिए ज्ञान देने से पहले आपको अपने शब्दों को कीमती बनाने की जरूरत है.
एक बार बुद्ध रास्ते से गुजर रहे थे, तभी एक सन्यासी उन्हें देख उनकी तेज से आकर्षित होता है. व्यक्ति बुद्ध से कहता है, मुनिवर क्या आप कोई देवता है? बुद्ध कहते हैं, नहीं. इसके बाद सन्यासी पूछता है तो क्या आप साक्षात ईश्वर हैं? बुद्ध कहते हैं नहीं. मैं तो तुम्हारी तरह ही एक साधारण सा मनुष्य हूं. लेकिन फर्क यह है कि मैं जाग गया हूं और तुम अब तक सोये हुए हो.
सन्यासी बुद्ध से कहता है, आपके चेहरे का तेज को देखकर लगा कि आप एक सिद्ध पुरुष हैं. इसलिए मैं यह जानना चाहता हूं कि आपके मार्गदर्शक या गुरु कौन है? बुद्ध कहते हैं- प्रारंभ में मेरे कई गुरु थे लेकिन आत्मज्ञान के मार्ग पर मैं अकेला ही चला और सैकड़ो गलतियां भी की फिर मैंने स्वयं आत्मज्ञान को प्राप्त किया.
यह सुनते ही सन्यासी बुद्ध को पाखंड और घमंडी समझने लगता है. वह बुद्ध से कहता है. तुम अपने गुरु का श्रेय छीन रहे हो. बुद्ध ने जो कहा वो सही था, लेकिन सन्यासी ने बुद्ध के उत्तर को गलत समझा. इसके बाद बुद्ध ने उस सन्यासी से एक शब्द भी नहीं कहा. क्योंकि बुद्ध सन्यासी को समझाने के लिए अपनी ऊर्जा और समय को बर्बाद नहीं करना चाहते थे. इस कहानी से इस बात का ज्ञान मिलता है कि, सलाह या ज्ञान केवल उसे ही दीजिए जिसे उसकी आवश्यकता है.
मां से प्रेम करें, अपमान नहीं
संसार में एक मां का प्रेम ही ऐसा है जोकि निस्वार्थ है. लेकिन आज लोग इस बात को भूल गए हैं और मां की ममता केवल शब्द मात्र बनकर रह गई है. गौतम बुद्ध अक्सर अपनी शिक्षा में कहते हैं कि, सभी को अपनी मां से प्रेम करना चाहिए उनका ख्याल रखना चाहिए. यदि आपको कुछ बड़ा करना है तो अपनी मां के लिए कीजिए. उन्हे ऐसा जीवन दीजिए, जिसकी वो हकदार हैं. बता दें कि गौतम बुद्ध की मां का नाम महामाया था. लेकिन बुद्ध को जन्म देने के हफ्तेभर में ही उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद बुद्ध की मौसी रानी प्रजापति ने उनका लालन-पालन किया.
खुद को किसी वस्तु , व्यक्ति या स्थिति से बांध लेने की भूल
जीवन के दो पहलू है. एक उन्नति का और एक विनाश का. इसलिए या तो आप उन्नति करेंगे और या विनाश की ओर बढ़ते जाएंगे. इसलिए जो चीजें आपके भविष्य में बाधक है, उन्हें धीरे-धीरे त्यागने की कोशिश करें और इसकी शुरुआत आज से ही करें दें. इस तरह से आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव पाएंगे.
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