Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का क्या महत्व है, पंचांग अनुसार आज ये कब से बन रहा है?
Budh Pradosh Vrat 2024: आज बुध प्रदोष व्रत है. इस व्रत में शिव जी की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है. मान्यता है इसके प्रताप से जीवन को अनेक फल की प्राप्ति होती है. जानें प्रदोष काल का महत्व.
Budh Pradosh Vrat 2024: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत आज किया जा रहा है. बुधवार होने से ये बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. बुध प्रदोष व्रत पर भगवान गणेश की भी उपासना की जाती है.
इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष काल में भोलेनाथ की उपासना की जाती है. इनके प्रभाव से जीवन की तमाम समस्याओं का अंत किया जा सकता है. जानें प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का महत्व.
ज्येष्ठ बुध प्रदोष व्रत 2024 तारीख (Budh Pradosh Vrat 2024 Date)
19 जून 2024 को आज बुध प्रदोष व्रत है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून बुधवार को सुबह 07 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी. उसका समापन 20 जून गुरुवार को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा.
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का महत्व
प्रदोष का अर्थ है, रात्रि का प्रारंभ. 'प्रदोषो रजनीमुखम' रात्रि के प्रारंभ की बेला प्रदोष नाम से संबोधित की जाती है. प्रदोष का भगवान शिव के साथ अन्योन्याश्रित संबंध है. इस दौरान शिव जी प्रसन्न होकर कैलाश पर नृत्य करते हैं. इस समय शिव साधना करने वालों को अमोघ फल प्राप्त होता है. रावण प्रदोष काल में शिव को प्रसन्न कर, सिद्धियां प्राप्त करता था.
प्रदोष काल का समय
प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है. कुछ विद्वान इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मानते हैं. लेकिन अधिकतर प्रामाणिक शास्त्र में प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक ही माना गया है.
- पूजा मुहूर्त - रात 07.22 - रात 09.22
प्रदोष व्रत में क्या सावधानियां रखें
बुध प्रदोष में फल और जल पर ही उपवास रखें. इस दिन अन्न खाने से बचें. शिवजी के साथ पार्वती जी का भी पूजन करें. शिव जी को केतकी, केवड़ा अर्पित न करें. अगर उपवास न रखें तो सात्विक आहार ही ग्रहण करें.
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