Bhudwar Ganesh Katha: हिंदू धर्म में गणेश पूजा (Ganesh Puja) का विशेष महत्व है. कहते हैं कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजन (Ganesh Pujan) से ही की जानी चाहिए. हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. ऐसे में बुधवार का दिन गणेश जी (Wednesday Ganesh Puja) को समर्पित है. कहते हैं जो भक्त गणपति (Ganpati Puja) की सच्चे दिल से अराधना करते हैं उनके सभी विघ्न गणपति हर लेते है. इसी कारण गणेश जी को विघ्नहर्ता (Vighanharta) भी कहा जाता है. कुछ लोग गणेश भगवान (Ganesh Bhagwan) की कृपा प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि साधक को व्रत की शुरुआत से लेकर अगले 7 बुधवार तक लगातार गणपति के व्रत (Ganpati Vrat) रखने चाहिए. मान्यता है कि गणपति के व्रत करने वाले साधक के जीवन में सुख, शांति और यश बना रहता है. साथ ही उनके अन्न भंडार और धन की कभी कमी नहीं होती. व्रत के दौरना गणेश जी की कथा अवश्य करनी चाहिए. आइए जानते हैं बुधवार के दिन व्रत (Budhwar Vrat) के समय किस कथा का स्मरण करना चाहिए. 


बुधवार व्रत कथा (Budhwar Vrat Katha)


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल की बात है, एक धनी व्यक्ति मधुसूदन अपनी पत्नी को विदा करवाने अपने ससुराल गया. पत्नी के साथ वहां वह कुछ दिन रहने के बाद उसने अपने सास-ससुर से विदा करने को कहा. लेकिन मधसुदन को सभी ने कहा कि बुधवार के दिन गमन नहीं करना चाहिए. इसलिए तुम आज मत जाओ. लेकिन वह नहीं माना और जिद्द करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर घर की ओर चल दिया. रास्‍ते में जब पत्नी को प्यास लगी, तो वह लोटा लेकर रथ से उतरकर पानी लाने चला गया. लेकिन जब वो पानी लेकर वापस आया तो देखकर हैरान रह गया कि उसके जैसी सूरत वाला व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है. 


मधुसूदन ने क्रोधित होकर रथ में बैठे हुए व्यक्ति से पूछा कि तू कौन है, जो मेरी पत्नी के साथ बैठा है. तभी दूसरा व्यक्ति बोला ये मेरी पत्नी है, इसे में अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर लाया हूं. वे दोनों व्यक्ति आपस में झगड़ा करने लगे. तभी वहां राज्य के सिपाही आ गए और लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. फिर सिपाहियों ने स्त्री से पूछा, इनमें से तुम्हारा पति कौन है? पत्नी कुछ न बोली और शांत रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे. वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला, ‘हे भगवान! यह क्या लीला है. यहां सच्चा झूठा बन रहा है. तभी आकाशवाणी हुई कि तुझे आज बुधवार के दिन गमन नहीं करना चाहिए, लेकिन सबके मना करने के बाद भी तूने गमन किया और तूने किसी की नहीं मानी.


यह सारी लीला बुधदेव भगवान की है. तब उस व्यक्ति ने बुधदेव जी से प्रार्थना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. वैसे ही बुधदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. इसके बाद मधुसूदन अपनी स्त्री को लेकर घर आया. इसके बाद से ही वे दोनों पति-पत्नी बुधवार का व्रत हर सप्‍ताह नियमपूर्वक करने लगे. मान्‍यता है कि जो व्यक्ति इस कथा को सुनता है और दूसरे लोगों को भी सुनाता है, उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता. साथ ही, सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं.


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