Business Management Tips in Hindi: सफलता हर किसी को अच्छी लगती है. हर कोई इसे पाना चाहता है. इसका आनंद उठाना चाहता है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि सफलता का रास्ता संघर्ष से होकर जाता है. यानि सफलता का स्वाद इतनी आसानी से चखने को नहीं मिलता है.


सफलता का आनंद उसी प्रकार से मिलता है, जैसे कोई गहरे सागर से मोती निकाल कर लाता है. जीवन में यदि सफल व्यवसायी (Businessman) बनना है या फिर व्यापार में तरक्की करनी है, तो कुछ बातों को अवश्य जान लेना चाहिए. यहां आपको बताते हैं सफल बिजनेसमैन बनने के कुछ आसान और सटीक मंत्र (Business Motivational Quotes)-


 



कार्य आरंभ करने से पहले रणनीति बनाएं (Strategy Brings Success in Business)
सफलता की गाथा परिश्रम और कुशलता से लिखी जाती है. आज के आधुनिक दौर में स्मार्टवर्क की अहमियत बड़ गई है. इसलिए हार्ड वर्क के साथ अब स्मार्ट वर्क पर भी विशेष फोकस करना चाहिए. स्मार्ट वर्क (Smart Work) तभी संभव है जब आप में रणनीति बनाने की क्षमता हो.


किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी भूमिका और रणनीति (Strategy) आवश्यक होती है. इसलिए किसी भी चुनौती या कार्य को आरंभ करने से पहले उसकी रणनीति या योजना अवश्य बनाएं. जो ऐसा करते हैं वे अपने कार्य को समय पर पूरा करने में सफलता पाते हैं. आचार्य चाणक्य अपनी किताब चाणक्य नीति में एक स्थान पर लिखते हैं-


बलवानप्यशक्तोऽसौ  धनवानपि  निर्धनः।
श्रुतवानपि  मुर्खोऽसौ  यो  धर्मविमुखो  जनः ।।


(भावार्थ: ऐसे व्यक्ति जो कर्मठ नहीं होते है, अपना धर्म नहीं निभाते हैं, वह शक्तिशाली होते हुए भी कमजोर हैं, धनवान होकर भी निर्धन हैं और ज्ञानी होते हुई भी अज्ञानी है.)


संसाधनों का रोना कभी मत रोएं (Lack of Resources, No Hindrance in Business)
जीवन मे यदि बड़ी सफलता की उम्मीद रखते हैं तो कभी संसाधानों का रोना मत रोएं. जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं या हैं, उनके जीवन के आरंभ के दिनों को देखेंगे तो पाएंगे सभी ने बहुत कम संसाधानों से अपने करियर की शुरुआत की, इसके बाद वे सफलता के नित नए सोपान चढ़ते गए.


सफलता कभी संसाधनों (Resources) की मोहताज नहीं होती है. इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए. सफलता सिर्फ और सिर्फ आपकी लगन, मेहनत, जुनून और योग्यता पर निर्भर करती है. संसाधनों का रोना रोने वाले सिर्फ अपनी कमजोरियों को छिपाने का प्रयास करते हैं. इनके खाते में सफलता कभी नहीं आती है. महाभारतसूक्तयः में कर्म यानि कार्य को लेकर एक स्थान पर बताया गया है-


अवेक्षस्व यथा स्वैः स्वैः कर्मभिर्व्यापृतं जगत्।
तस्मात् कर्मैव कर्तव्यं नास्ति सिद्धिरकर्मणः॥


(भावार्थ: समस्त संसार के लोग अपने अपने कार्यों में लगे हुए हैं. इसलिए हमें भी अपना कर्तव्य और कर्म करना चाहिए. कार्य न करने वालों को सफलता नहीं मिलती है.)


गुणवत्ता से समझौता न करें (Quality Leads to Success in Business)
प्रतियोगिता के दौर में जितना सफल होना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक सफलता को बनाए रखना है. एक बार सफल हो गए तो इसका अर्थ ये नहीं है कि अब इस पर सदैव बने रहेगें. ऐसा नहीं है. ध्यान रखें शीर्ष स्थान कभी किसी का स्थाई नहीं हुआ है. इस स्थान पर हमेशा बदलाव होता रहता है. आज कोई कोई ओर है तो कल कोई ओर आएगा. यहां बदलाव की सतत प्रक्रिया बनी रहती है. आज के दौर में सफलता पाने से अधिक सफल बने रहना ज्यादा मुश्किल है. ये तभी संभव है जब आप अपनी गुणवत्ता को बनाए रखेगें


गुणवत्ता जिम्मेदारी के भाव से उत्पन्न होती है. जब आप अपनी छवि को लेकर सजग रहते हैं तो गुणवत्ता ही एक मात्र सहारा होती है. गुणवत्ता आपको दूसरों से अलग बनाती है. गुणवत्ता, मौलिक विचार यानि ओरिजिनल आइडिया (Original Idea) से आती है, जब ईमानदारी से कार्य किया जाता है तो इसकी चमक आपके उत्पाद (Product) में भी दिखाई देती है. अपने कार्य के प्रति गंभीरता ही सफलता में सहायक होती है. इस श्लोक को समझें-


कर्मणामी भान्ति देवाः परत्र कर्मणैवेह प्लवते मातरिश्वा।
अहोरात्रे विदधत् कर्मणैव अतन्द्रितो नित्यमुदेति सूर्यः।।


(भावार्थ: कर्म से ही देवता चमक रहे हैं. कर्म से ही वायु बह रही है. सूर्य भी आलस्य से रहित कर्म करके नित्य उदय होकर दिन और रात का विधान कर रहा है )


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