व्यापार में सफलता प्राप्ति के लिए कर लें इस यंत्र की स्थापना, ठप बिजनेस भी दौड़ने लगेगा, होने लगती है सोने की बरसात
जीवन को सुचारु रूप से चलाने और परिवार में खुशहाली बनाए रखने के लिए धन का होना जरूरी है. मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखने के लिए व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है.
जीवन को सुचारु रूप से चलाने और परिवार में खुशहाली बनाए रखने के लिए धन का होना जरूरी है. मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखने के लिए व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है. कई तरह के उपाय और पूजा पाठ करता है. नौकरी करता है, बिजनेस करता है. लेकिन कई बार व्यापार में मेहनत के बावजूद व्यक्ति को उतना धन नहीं मिल पाता,जिससे वे सुख-शांति से रह पाए. इसके लिए वास्तु शास्त्र में व्यापार वृद्धि यंत्र के बारे में बताया गया है. जिसे स्थापित करने से व्यापार में वृद्धि होने लगती है. आइए जानते हैं व्यापार वृद्धि यंत्र के बारे में.
इस धातु पर बनवाएं ये यंत्र
ज्योतिषीयों का कहना है कि व्यापार वृद्धि यंत्र को तांबे, चांदी या सोने के पत्र पर या स्फटिक पर बनवाना चाहिए. धार्मिक शास्त्र के अनुसार व्यापार वृद्धि यंत्र स्फटिक या सोने के पत्र पर शुभ मुहूर्त में बनवाना शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस यंत्र का फल तभी मिलता है जब विधि-विधान के साथ इसकी स्थापना की जाती है. इससे व्यापार में सफलता हासिल होती है और दरिद्रता दूर होती है.
बिजनेस में लाभदायक
अगर किसी व्यक्ति को बिजनेस में घाटा हो रहा है, या फिर नया व्यापार शुरु कर रहे हैं, तो व्यापार वृद्धि यंत्र मंगलकारी साबित हो सकता है. इतना ही नहीं, लेन-देन करते समय इस यंत्र का पूजन और दर्शन करने से सफलता हासिल होती है. अगर आपकी लाख कोशिशों के बाद भी व्यापार में घाटा हो रहा है, तो व्यापार वृद्धि यंत्र को अपने दुकान की पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें.
वहीं, अगर आर्थिक समृद्धि चाहते हैं, तो पवित्र मन से व्यापार वृद्धि यंत्र के सामने अग्नि में गाय का दूध अर्पित करें. इसके साथ ही, नियमित रूप से मां लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें और मंत्र का जाप भी करें.
यूं करें व्यापार वृद्धि यंत्र की पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन शुभ मुहूर्त में व्यापार वृद्धि यंत्र के सामने बैठकर लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से धन का आगमन होता है. इसकी नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए. पूजन के समय यंत्र के ऊपर इत्र का छिड़काव करें और धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. अगर दिन-रात मेहनत के बाद भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, तो व्यापार वृद्धि यंत्र की स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा में करदें. और विधिवत्त तरीके से इसकी पूजा करें.
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