हिरणी को प्राणदान देकर शिकारी ने अनजाने में की उपासना और पाई मुक्ति, पढ़ें पौराणिक कथा
मासिक शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए अहम त्योहार है. इस दिन अनजाने में भी किया गया शिव पूजन पुण्य देता है. किवदंती है कि शिवरात्रि के दिन शिकारी को अनजाने में शिवलिंग पर बेलपत्र गिराने का पुण्य मिला.
Masik Shivratri: क्या आपको मालूम है कि हर माह शिवरात्रि आती है? जी हां, सही पढ़ा. महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार और हर मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस तरह पूरे वर्ष में 11 मासिक शिवरात्रि पड़ती हैं.
इससे जुड़ी एक रोचक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में चित्रभानु नाम का शिकारी था. जो शिकार कर जीवन-यापन करता था. एक रोज परिस्थितिवश उसे पूरे दिन खाने को कुछ नहीं मिला. मगर मासिक शिवरात्रि पर अनजाने में की गई शिव आराधना, व्रत और जागरण के फल स्वरूप उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
पौराणिक कथाओं के अनुसार चित्रभानु एक साहूकार का कर्जदार था. कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को साहूकार ने कर्ज नहीं चुकाने पर चित्रभानु को बंधक बना लिया और शिवमठ में बंद कर दिया. न उसे खाना मिला न पानी. बस वह शिवालय में होने वाली शिवभक्ति मुग्ध होकर सुनता रहा. शाम को पैसे मिलने के आश्वासन पर साहूकार ने चित्रभानु को छोड़ दिया. वह शिकार की घात में जंगल पहुंच गया, जहां जंगली जीवों से रक्षा के लिए वह बेल वृक्ष पर बैठ गया. पाड़ बांधने के दौरान उसने उस पेड़ की टहनियां तोडक़र नीचे गिरा दी. वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था, अनजाने में उसने उस वृक्ष के बेल पत्रों को शिवलिंग पर चढ़ा दिया.
यहां पहले शिकार के तौर पर एक गर्भवती हिरणी आई. उसने तीर ताना तो हिरणी ने कहा कि मेरे बच्चे के जन्म के बाद मेरा शिकार कर लीजिएगा. शिकारी ने दया कर उसे छोड़ दिया. इस तरह शिकारी चार शिकार माफ करता गया. समय-समय पर उसके हिलने-डुलने से बेल पत्र टूटकर शिवलिंग पर गिरते रहे. शिकार की घात के कारण अगला दिन हो गया, इस तरह अनजाने में ही सही उसका व्रत पूरा हुआ और फलस्वरूप उसको मोक्ष की प्राप्ति हुई.
ये भी पढ़ें :
Hanuman Ji: मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ नकारात्मक ऊर्जा को करता है नष्ट