Shani Sade Sati and Dhaiya Effect: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार शनिवार का दिन मुख्य रूप से शनिदेव को समर्पित होता है. इस दिन विधि- विधान से शनिदेव की पूजा- अर्चना और आरती की जाती है.  मौजूदा समय में शनि मकर राशि में विराजमान हैं. जिसके चलते मकर, कुंभ, धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव होता है. ऐसे व्यक्तियों को कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है.


शनि के अशुभ और अमंगलकारी प्रभावों से बचने के लिए मकर, कुंभ, धनु, मिथुन और तुला राशि के जातक शनिवार के दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा और आरती जरूर करें. शनिदेव की आरती करने से शनिदेव खुश होते हैं और अपने भक्तों को अशुभ प्रभावों से छुटकारा दिलाते हैं. आइये जानते हैं शनिदेव की आरती और उनकी महिमा:-


शनिदेव की आरती की महिमा


हिंदू धर्म में देवी- देवताओं की स्तुति और पूजन के बाद आरती करने की परंपरा है. शनिवार के दिन शनिदेव की आरती करने का विधान है. इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि शनिवार के दिन शनि चालीसा और शनि मंत्रों का पाठ करने के बाद शनि आरती करनी चाहिए. इससे भक्त पर किसी प्रकार की शनि महादशा को कम किया जा सकता है. शनि देव की आरती, सरसों के तेल के दीपक में काले तिल को डालकर करनी चाहिए.


शनि देव की आरती


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय जय श्री शनि देव....


श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी। नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥जय जय श्री शनि देव....


क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय जय श्री शनि देव....


मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी। लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय जय श्री शनि देव....


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी। विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥ जय जय श्री शनि देव ...