किसी भी माह की पूर्णिमा के बाद अगले दिन से नए माह की शुरुआत होती है. फाल्गुन माह की पूर्णिमा 17 मार्च को है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार 18 मार्च से चैत्र माह की शुरुआत हो रही है, जो कि 17 अप्रैल तक रहेगा. चैत्र में कई खास त्योहार मनाए जाते हैं. हर माह के कुछ नियम  होते है. साथ ही, हर माह किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. वैसे ही ग्रंथों में चैत्र माह में गुड़ और मिश्री का सेवन वर्जित है.होलिका दहन के अगले दिन यानि रंगोत्सव के दिन से चैत्र मास की शुरुआत हो जाती है. इस पूरे माह में मीठे के सेवन से बचना चाहिए. जानें क्या है इसके पीछे कारण. 


चैत्र माह में क्यों नहीं खाते मीठा


दिनभर की डाइट में कुछ न कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिसमें मीठा शामिल होता है. लेकिन चैत्र माह में अतिरिक्त मीठी चीजें खाना बिल्कुल मना होता है. कहते हैं कि इस माह में कड़वी और कषैली वस्तुओं का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. नीम के पत्ते आदि का सेवन शरीर में वात-पित्त-कफ का संतुलन बेहतर बनाए रखता है.


खट्टे फलों को भी न करें शामिल


चैत्र माह में मीठी चीजों के साथ खट्टे फलों को भी शामिल न करें. कहते हैं कि ये महीना कर्क रेखा क्षेत्र खासकर भारत में गर्मी और शर्दी का संधिकाल होता है. ऐसे में कम और संतुलित भोजन खाना ही सही रहता है. वहीं, इस माह में नवरात्रि का पर्व भी आता है. इसमें लोग व्रत संकल्प करते हैं और नौ दिन व्रत रखकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं. 


इसी कारण होली पर भी मीठे की जगह नमकीन चीजें ज्यादा बनाई जाती हैं. चैत्र माह संधिकाल का माह है इसलिए ये रक्त चाप के असंतुलन को भी बढ़ाता है. कहते हैं कि इस माह में दिन में गर्मी और रात में सर्दी होती है इसलिए शरीर को दैहिक तापमान के संतुलन के लिए ज्यादा प्रयास करना पड़ता है.


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