Chaiti Chhath 2023: चैती छठ पूजा कब ? जानें नहाय खाय और सूर्य को अर्घ्य देने की डेट, मुहूर्त
Chaiti Chhath 2023: छठ का पर्व साल में दो बार पहला चैत्र और कार्तिक माह में मनाया जाता है. चैती छठ चार दिन तक चलने वाला त्योहार है. जानते हैं इस साल चैती छठ पूजा की डेट, कैलेंडर और मुहूर्त
Chaiti Chhath 2023 Date and Time: हिंदू पंचांग के अनुसार छठ का पर्व साल में दो बार पहला चैत्र और कार्तिक माह में मनाया जाता है. लोक आस्था का महा पर्व छठ मुख्यतौर पर बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है. चैती छठ चार दिन तक चलने वाला त्योहार है. चैती छठ में सूर्य की उपासना की जाती है ये पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद समाप्त होता है. संतान के स्वास्थ, अच्छे भविष्य और उसकी रक्षा के लिए महिलाएं चैती छठ पर व्रत रखती है. आइए जानते हैं इस साल चैती छठ पूजा की डेट, कैलेंडर और मुहूर्त
चैती छठ 2023 तिथि (Chaiti Chhath 2023 Calendar)
- नहाय खाय - 25 मार्च 2023
- खरना - 26 मार्च 2023
- अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य - 27 मार्च 2023
- उदयीमान सूर्य को अर्घ्य - 28 मार्च 2023
नहाय खाय (Chaiti Chhath Puja Nahay Khay) - 25 मार्च 2023
नहाय-खाय परंपरा से चैती छठ पूजा शुरू होती है. इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है. महिलाएं इस दिन व्रत का संकल्प लेती हैं और सेंधा नमक युक्त भोजन जैसे चने की दाल, लौकी की सब्जी, भात खाती हैं.
खरना (Chaiti Chhath Puja Kharna) - 26 मार्च 2023
चैती छठ पूजा का दूसरे दिन खरना कहलाता है. खरना के दिन शाम को गाय के उपले या आम की लकड़ी पर गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है और फिर व्रती और सभी घरवाले इसे ग्रहण करते हैं. इस दिन नमक का भोजन नहीं करते. इसके बाद से व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है.
सूर्यास्त समय - शाम 06.36
संध्या अर्घ्य (Chaiti Chhath Puja Sandhya Arghya) - 27 मार्च 2023
चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि पर छठ पूजा यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. व्रती नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठी मैय्या और सूरज की विधिवत पूजा की जाती है
सूर्योदय समय - सुबह 06.16
उषा अर्घ्य (Chaiti Chhath Puja Usha Arghya) - 28 मार्च 2023
छठ पूजा के समापन उषा अर्घ्य यानी उगते सूरत को अर्घ्य देकर किया जाता है. सूर्य अर्घ्य के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों को रखा जाता है. सूर्य पूजा के लिए सूप को भी सजाया जाता है. सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ्य देकर छठी मैया को प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती व्रत का पारण करते हैं.
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