Chhath 2023: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ चैती छठ, अब कार्तिक माह में मनाया जाएगा लोक आस्था का महापर्व छठ
Chhath 2023: आज मंगलवार को उदयगामी सूर्य को छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया. इसी के साथ चैती छठ का समापन हुआ. अब 17 नवंबर 2023 को कार्तिक माह में एक बार फिर लोक-आस्था का महापर्व छठ मनाया जाएगा.
Chhath Puja 2023: छठ पर्व हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे नवरात्रि की तरह ही साल में दो बार मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, पहला छठ चैत्र माह में होता है और दूसरा कार्तिक महीने में मनाया जाता है. छठ महापर्व को देशभर में मनाया जाता है. लेकिन विशेषकर झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिस्सों में इसकी धूम देखने को मिलती है.
इस साल चैती छठ पूजा की शुरुआत 25 मार्च 2023 से हुई, जिसका समापन आज उदयगामी यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ. अब इसके बाद कार्तिक माह में 17 नवंबर को छठ महापर्व की शुरुआत होगी, जिसे नहाय-खाय से लेकर उदयगामी अर्घ्य यानी 4 दिनों तक मनाया जाएगा.
आज छठ व्रतियों ने दिया उदयगामी सूर्य को अर्घ्य
लोक आस्था का महापर्व छठ में मंगलवार को व्रतियों ने उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. इसी के साथ आज छठ पर्व का समापन हुआ. इसके बाद व्रती छठ व्रत का पारण करेंगी. छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है. इस महीने सूर्य मीन राशि में होते हैं और यह उच्च राशि की अग्रसर होते हैं.
छठ महापर्व का महत्व
छठ महापर्व को लोक-आस्था का महापर्व कहा जाता है. इससे लोगों की श्रद्धा और आस्था जुड़ी है. इसलिए इसे महापर्व कहा जाता है. मान्यता है कि छठ व्रत करने से छठी मईया और भगवान भास्कर की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. छठ पर्व संतान, सुहाग और घर-परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य, सुख और खुशहाली के लिए किया जाता है. छठ व्रत में पारंपरिक गीतों और ठेकुआ प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है. छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण से मानी जाती है. मान्यता है कि सबसे पहले कर्ण ने ही पानी में घंटों खड़े रहकर सूर्य की उपासना की थी.
छठ व्रत के नियम
सभी पूजा-पाठ में छठ व्रत के नियम सबसे कठिन माने जाते हैं. इसे पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है और व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है. पहले दिन नहाय खाय होती है, दूसरे दिन खरना होता है, तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत संपन्न होता है.
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