सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. हर माह में एक अमावस्या पड़ती है और हर अमावस्या का अपना अलग महत्व होता है. माह में पड़ने वाली अमावस्या को उसी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जानते हैं. चैत्र अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है. 


इतना ही नहीं, इस दिन पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन सूर्य देव के साथ पितरों की पूजा भी की जाती है. इससे पितर संतुष्ट होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस साल उदया तिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या 1 अप्रैल को है. आइए जानते हैं चैत्र अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में हम लोग. 


हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान किया जाता है. पितृदोष से निजात पाने के लिए उपायों के साथ जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. इस दिन पितृ तर्पण और पिंड दान आदि से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. 


चैत्र अमावस्या तिथि


पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र अमावस्या  31 मार्च 2022, गुरुवार से शुरू हो रही होगी, जो कि 1 अप्रैल शुक्रवार के दिन समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार 1 अप्रैल को अमावस्या मनाई जाएगी. 


चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त


अमावस्या तिथि प्रारंभ- 31 मार्च दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होगी. 


अमावस्या तिथि समापन- 01 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी. 


उदया तिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या 01 अप्रैल को मनाई जाएगी. 


चैत्र अमावस्या का महत्व


चैत्र अमावस्या का धार्मिक महत्व अन्य अमावस्या की तुलना में ज्यादा है. इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजा, स्नान और दान आदि करना शुभ माना गया है. साथ ही,  इस दिन कुछ ज्योतिष उपाय से पितृदोष और कालसर्प दोष से छुटकारा पाया जा सकता है. इस दिन पितरों के तर्पण से उन्हें शांति मिलती है और व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. 


स्नान-दान की परंपरा


अमावस्या के दिन स्नान-दान की परंपरा है. साथ ही, स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान देना शुभ माना गया है. अमावस्या के दिन अनाज, कपड़े, फल, खाने की सफेद चीजें. पानी के लिए मिट्टी के बर्तन और जूते या चप्पल दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं. 


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