चैत्र माह में कब है पूर्णिमा? जाने शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि और महत्व
हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का अंतिम दिन पूर्णिमा होता है. माह के नाम से ही पूर्णिमा का नाम रखा जाता है. चैत्र माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का अंतिम दिन पूर्णिमा होता है. माह के नाम से ही पूर्णिमा का नाम रखा जाता है. चैत्र माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस दिन श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की जयंती भी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में सनातन धर्म का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदि में स्नान-दान किया जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है.
चैत्र माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि की पूजा और व्रत का विधान है. रात को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि चैत पूर्णिमा के दिन नदी, तीर्थ, सरोबर और जलकुंड में स्नान करके दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानें चैत्र पूर्णिमा की तिथि शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.
चैत्र पूर्णिमा 2022
चैत्र पूर्णिमा: दिनांक 16 अप्रैल 2022, शनिवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ :16 अप्रैल, शनिवार 02:25 ए.एम
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 12:24 ए.एम
चंद्रोदय का समय सायं 16 अप्रैल, शनिवार, 06:27 पी.एम
चैत्र पूर्णिमा का महत्व
हिंदू कैलेंडर का अनुसार चैत्र का महीना साल का पहला माह होता है. उस हिसाब से हिंदू नववर्ष की प्रथम पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भक्त श्री हरि विष्णु की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करता है, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन सत्यनारायण की कथा से व्यक्ति के दुख दूर होते हैं.
चैत्र पूर्णिमा के दिन होती है हनुमान जयंती
पंचाग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. खूब जोर-शोर से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा दोनों दिन मनाया जाता है.
चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर स्वस्थ वस्त्र धारण करें. इसके उपरांत मंदिर में भगवान के सम्मुख खड़े होकर चैत्र पूर्णिमा का व्रत संकल्प लें. इसके बाद श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना करें. इस दिन सत्यनारायण का पाठ किया जाता है. भगवान विष्णु को नैवेद्य अर्पित करें. अंत में ब्राह्मणों और गरीबों को दान-दक्षिणा दें. रात में चंद्रदर्शन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे, पूजा करें और व्रत का पारण करें.
इन मंत्रों का करें जाप
धार्मिक मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" या " ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम: " मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य देने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
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