Chaitra Navratri 2022 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें व्रत कथा और पूजन विधि
हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. आइए जानें मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप और व्रत कथा
हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. 3 अप्रैल, रविवार के दिन मां की व्रत कथा करने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान करती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में तप त्याग,वैराग्य,सदाचार और संयम प्राप्त होता है.साथ ही, आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति संकटों से घबरता नहीं है, बल्कि उनका डटकर सामना करता है.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी कठोर तपस्या करती हैं. इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाएं और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया. इतना ही नहीं, इसके बाद मां ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे धूप और बारिश को सहन किया.
टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और लगातार भगवान शंकर की आराधना करती रहीं. जब उनकी कठिन तपस्या से भी भोले नाथ प्रसन्न नहीं हुए, तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. वे कई हजार सालों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं. जब मां ने पत्ते खाने भी छोड़ दिए तो इनका नाम अपर्णा पड़ गया. मां ब्रह्मचारिणी कठिन तपस्या के कारण बहुत कमजोर हो गईं. मां की इतनी कठिन तपस्या देखते हुए सभी देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने सरहाना की और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया.
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