नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है. इस विधि विधान के साथ मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं. हाथ में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा लिए होती हैं मां. सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है. इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. मां सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तैयार रहती हैं. अतः मां चंद्रघंटा हर स्थिति में भक्तों को कष्ट से छुटकारा दिलाती हैं.


तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचाग के अनुसार तृतीया तिथि 4 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक ही रहेगी. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया उदया तिथि सोमवार 4 अप्रैल को है. इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी.


मां चंद्रघंटा का भोग


मां चंद्रघंटा को दूध से बनी हुई चीजों का भोग लगाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार कन्याओं को खीर, हलवा और स्वादिष्ट मिठाई भेट करने से माता प्रसन्न होती है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से भक्तों के सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं. 


मां चंद्रघंटा की पूजा विधि


नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा करने के लिए मां की चौकी पर चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद मां की तस्वीर का गंगाजल से शुद्धिकरण करें. चौकी एक पात्र में कलश भरकर उसके ऊपर नारियल रखें. फिर पूजन का संकल्प लें और वैदिक और सप्तशती मंत्रों द्वारा मां सहित सभी देवी-देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. 


इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आमचन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें. इसके बाद पूजन संपन्न करें और मां की आरती और मंत्र जाप करें. 


मां चंद्रघंटा मंत्र जाप


पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥


इस मंत्र का 11 बार जप करने से शुक्र संबंधी परेशानियों और जीवन में अन्य परेशानियों से छुटकारा मिलेगा. आज के दिन मां के इस मंत्र जाप से सभी परेशानियां दूर होती हैं. मान्यता है कि शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघटा का आधिपत्य होता है. अतः आज के दिन मां का मंत्र जाप अवश्य करें. 


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