Chaitra Navratri 2023, Jau Bone Ke Niyam: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है. पूरे साल में चार बार नवरात्रि पड़ती है. चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि या वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत बुधवार 22 मार्च 2023 से हो रही है जिसका समापन 30 मार्च 2023 को होगा.
नवरात्रि के दौरान मां भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. इस पर्व में जौ या ज्वार का बहुत महत्व होता है. नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना या कलश स्थापना पर घर और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है. जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों नवरात्रि पर जौ बोये जाते हैं. जानते हैं इसका रहस्य और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं.
नवरात्रि जौ बोने के रहस्य
हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना गया है. पौराणिक मान्यता है कि, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी तब वनस्पतियों में जो सबसे पहले फसल विकसित हुई थी वह जौ या ज्वार थी. इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना के साथ ही जौ बोये जाने का महत्व है. जौ बोने के साथ कलश स्थापना की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि पर जौ बोने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और इससे देवी दुर्गा के साथ ही, देवी अन्नपूर्णा और भगवान बह्मा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. नवरात्रि पर बोये हुए जौ के उगने के बाद इससे शुभ-अशुभ संकेतों का पता लगाया जाता है. इसके अलावा देवी-देवताओं के पूजन, हवन या कोई विशेष अनुष्ठान पर भी जौ अर्पित किए जाते हैं.
घट स्थापना 2023 मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना होती है. 22 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के लिए सुबह 06:29- 07:39 तक का समय शुभ है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च को ब्रह्म योग सुबह 9:18 से 23 मार्च को 06:16 मिनट तक रहेगा. वहीं शुक्ल योग 21 मार्च को सुबह 12:42 से 22 मार्च को सुबह 09:18 मिनट तक रहेगा.
नवरात्रि पर बोये जौ से शुभ-अशुभ संकेत
- नवरात्रि के घटस्थापना या कलश स्थापना वाले दिन कलश के सामने एक मिट्टी के पात्र में जौ बोये जाते हैं और विधि-विधान से पूजा की जाती है. जब नौ दिनों के बाद जौ अच्छी तरह से उग जाते हैं तो इसे नदी में विसर्जित कर दिया जाता है.
- मान्यता है कि जौ बोने से वर्षा, फसल और भविष्य का पता लगाया जाता है. अगर जौ की लंबाई कम होती है या जौ अच्छी तरह नहीं उगे तो इसका मतलब यह होता है कि उस साल वर्षा और फसल कम होगी.
- अगर बोये हुए जौ का रंग आधा हरा और आधा पीला होता है तो इसका अनुमान यह लगाया जाता है कि, यह साल मिलाजुला फलदायी होगा. यानी आधा साल अच्छा और आधा समस्याओं वाला हो सकता है.
- अगर जौ पहले हरा उगता है और फिर बाद में सफेद पड़ जाता है तो इसे शुभ संकेत माना जाता है. इसका अर्थ यह होता है कि मां भगवती की कृपा से आपके जीवन में खुशियां और सुख-समृद्धि आने वाली है.
- घटस्थापना में बोये हुए जौ में अगर 2-3 दिन में अंकुर आ जाए तो इसे बहुत ही शुभ माना गया है. वहीं अगर नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में जौ बिल्कुल भी न उगे तो इसे अशुभ संकेत माना गया है. इसलिए जौ बोते समय उचित तरीके से जौ बोए और नियमित जल का छिड़काव करें.
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