Chaitra Navratri 2023 Highlight: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें भोग, मंत्र और उपाय
Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Puja: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो चुकी है. इस साल नवरात्रि बहुत शुभ संयोग में शुरू हो रही है. यहां जानते हैं संपूर्ण जानकारी.
मीन राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन किसी नई शुरुआत के लिए अच्छा रहने वाला है और कार्यक्षेत्र में आपको अपने सहकर्मियों का पूरा साथ मिलेगा. मित्रों के साथ आप किसी पिकनिक आदि पर जाने की योजना भी बना सकते हैं, लेकिन आज आप किसी को भी कोई काम करने के लिए मजबूर ना करें, नहीं तो बाद में आपको समस्या हो सकती है.
कुंभ राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन जल्दबाजी में किसी काम को करने से बचने के लिए रहेगा. आपने यदि इसे निवेश में जल्दबाजी दिखाई, तो इससे बाद में आपको कोई नुकसान हो सकता है और आप आज अपने परिवार में सदस्यों की जरूरतों का पूरा ध्यान दें. कार्य क्षेत्र में अधिकारी आपसे किसी बात को लेकर सलाह मशवरा कर सकते हैं.
मकर राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन चिंताग्रस्त का रहने वाला है. बिजनेस के मामले में भी दिन की शुरुआत कमजोर रहेगी और घर परिवार में भी कुछ लड़ाई झगड़े आपके समस्या बन सकते हैं, लेकिन आपको आज संतान के कैरियर को लेकर यदि कोई चिंता चल रही थी, तो माता पिता की सेहत के प्रति आप सचेत रहे.
धनु राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन राजनीतिक क्षेत्रो में कार्यरत हैं, उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है, लेकिन उन्हें अपनी बात लोगों के सामने रखनी होगी और यदि किसी व्यक्ति की आवश्यकता हो, तो आप किसी अनुभवी व्यक्ति से करें, तो बेहतर रहेगा. बिजनेस कर रहे लोगों को अच्छा मुनाफा मिलने से उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा. संतान से किसी बात को लेकर कहासुनी हो सकती है. आपका कोई पुराना लेनदेन आपके लिए समस्या लेकर आ सकता है.
वृश्चिक राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन किसी नये निवेश को करने के लिए रहेगा. व्यवसाय में आप किसी नये प्रोजेक्ट शुरुवात कर सकते हैं. भाइयों से यदि किसी बात को लेकर वाद विवाद चल रहा था, तो वह भी आज दूर होगा. संतान पक्ष के ओर से आपको कोई निराशाजनक सोचना सुनने को मिल सकती है.
तुला राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन कुछ समस्याएं भरा रहने वाला है. आपको किसी खास डील को फाइनल करेंगे, लेकिन यदि आपको कोई धन संबंधित समस्या चल रही थी, तो उससे आपको छुटकारा मिलेगा और परिवार में किसी सदस्य को घर से दूर नौकरी के लिए जाना पड़ सकता है. जीवन साथी से आप किसी बात को लेकर बहस बाजी में ना पड़े.
कन्या राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन बाकी दिनों की तुलना में अच्छा रहने वाला है. कार्यक्षेत्र में आपको मन मुताबिक लाभ मिलेगा. विद्यार्थियों को इधर-उधर के कामों मे ध्यान लगाने से अच्छा है कि आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाएं और आपको किसी पुरानी गलती के कारण थोड़ा तनाव रहेगा.
सिंह राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन खुशनुमा रहने वाला है. अविवाहित जातकों के लिए उत्तम विवाह के प्रस्ताव आएंगे और आप अपने जीवन साथी के साथ आज कहीं घूमने फिरने की योजना बना सकते हैं. यदि किसी काम को लेकर आपको लंबे समय से तनाव चल रहा था, तो वह भी दूर होगा. माता-पिता को आप किसी धार्मिक यात्रा पर लेकर जा सकते हैं.
कर्क राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन कुछ उलझनो भरा रहने वाला है. आपकी किसी पुराने मित्र से लंबे समय बाद मुलाकात होगी और नौकरी में कार्यरत लोगों को महिला मित्र से सावधान रहना होगा. आप घर परिवार में बड़े सदस्यों के साथ बैठकर कुछ पुरानी यादें ताजा करेंगे. सरकारी नौकरी में कार्यरत लोगों को आज प्रमोशन मिल सकता है.
मिथुन राशि वालो को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन तरक्की दिलाने वाला रहेगा. कार्य क्षेत्र में आपको किसी सदस्य के कारण समस्या हो सकती है और आपको छोटी दूरी की यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा. आप आज अपने मन में चल रही किसी बात को किसी से शेयर ना करें और आपकी तरक्की देखकर आपके कुछ नए शत्रु उत्पन्न हो सकते हैं.
वृषभ राशि वालो को चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन किसी जोखिम भरे काम में हाथ आजमाने से बचने होगा. यदि आप किसी संपत्ति का सौदा करने जा रहे हैं, तो उसमें माता-पिता से आशीर्वाद अवश्य लेकर जाएं व अपनी आंख व कान खुले रखें. संतान पक्ष की ओर से आपको आज कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है.
में राशि वालो को चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन सेहत के प्रति भी सचेत रहें व अत्यधिक तले भुने भोजन से परहेज रखे. आपका कोई पुराना लेनदेन आ चुकटा होगा, जिससे आपको खुशी होगी. यदि आपको कार्य क्षेत्र में आज कुछ जिम्मेदारी सौंपी जाए, तो उन्हें पूरा ध्यान देकर निभाए.
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के दूसरे सुबह 06.22 - सुबह 07:54 तक पूजा करना बेहद शुभ माना जायेगा और इस बीच माता को चांदी की वस्तु अर्पित करने से भक्तो को शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होगी. साथ ही इस शुभ समय में आप मां के खास मंत्र ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:का उच्चारण करके विशेष फल प्राप्त कर सकते है.
चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन माता को चांदी की वस्तु अर्पित करें और छात्र शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मां सरस्वती की उपासना करे. ऐसा करने से करियर में किसी प्रकार की बढ़ाए दूर होती है.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को आप शक्कर या पंचामृत का भोग लगाए और ऊं एं नमः मंत्र का 108 बार जाप करे. लेकिन ध्यान रखे की निराहार रह कर पूजा करने से ही फल प्राप्त होता है और सफलता प्राप्त होती है.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन आप पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहन कर करे. माता रानी का प्रिय रंग लाल है लेकिन मां को सफेद रंग की वस्तु अर्पित करने से भाग्य आपके पक्ष में आ सकता है और मां के आशीर्वाद से आप सफलता प्राप्त कर सकते है.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने के लिए चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि एक दिन पहले रात 8:20 मिनट पर शुरू हो जाएगी और आप मां का पूजन 23 मार्च रात 6:20 तक कर सकते हैं. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:22 मिनट से लेकर 7:54 तक रहेगा.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. इस वर्ष 23 मार्च 2023 को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सैयाम और त्याग की भावना जागृत होती है, जो की लक्ष्य प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
चैत्र नवरात्रि पर अखंड ज्योति स्थापित करने का काफी महत्व है लेकिन अगर इस अखंड ज्योति को दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ रखा जाए तो घर के सदस्यों को सेहत उत्तम रहती है और वे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते है
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शाम को मां के पूजा करने के शुरुवात 5 सुपारी एक लाल कपड़े में बांधकर माता के चरणों में चढ़ा कर करें और सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते इस मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे मां अंबे विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं.
शास्त्रों के मुताबिक घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. सुयोग्य वर प्राप्त करने के लिए आप स्तोत्र पाठ कर सकते हैं.
मां शैलपुत्री का स्त्रोत पाठ-
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
नवरात्रि के दौरान अपने घर के मुख्य दरवाजे पर कुमकुम से माता के चरण अगर बना रहे है तो माता के चरण इस तरीके से बनाए की वे अंदर की तरफ आते हुए दिखे. ऐसा करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और घर में माता का आगमन भी होता है.
नवरात्रि के नौ दिन माता की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से घर से वास्तु दोष का अंत होता है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिन घर और परिवार की खुशहाली के लिए पूरे विधि विधान से मां का पूजन करना चाहिए.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए आप शुद्ध देसी घी के हलवे का भोग लगाए. ऐसा करने से आपको निरोगी काया का वरदान भी मां से प्राप्त होता है, तो इस नवरात्रि जरूर लगाए मां को शुद्ध देसी घी के हलवे का भोग.
नवरात्रि के पहले दिन से लेकर के आख़िरी दिन तक हर रोज घर में कपूर जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश और घर से अंत भी होता है. इस खास उपाय की मदद से आप भी अपने घर से नकारात्मकता का अंत कर सकते है.
चैत्र नवरात्रि में रोजाना मां दुर्गा की पूजा के बाद 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे' का 108 बार जाप करें. कहते हैं इससे उच्चारण मात्र से मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली का आशीर्वाद मिलता है और ग्रहों की पीड़ा से राहत मिलती है.
नवरात्रि की 9 रातें साधना, ध्यान, व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, तंत्र, त्राटक, योग आदि के लिए महत्वपूर्ण होती है. 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है. रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं. इस समय शांत मन से की गई माता रानी की पूजा शीघ्र फल प्रदान करती है. मान्यता है इस दौरान मंत्र जाप करने से शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है.
नवरात्रि में प्रतिदिन पहले कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें. फिर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. मान्यता है इससे दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्त हो जाता है. ये पाठ जो सिद्ध कर लेता है उसे कभी धन-धान्य, सुखी की कमी नहीं रहती.
मेष - आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. नौकरी के अवसर प्राप्त होंगे.
कर्क - दांपत्य जीवन में तनाव खत्म होगा. नया काम शुरू करने के लिए अनुकूल समय है.
मिथुन - कार्यों में आ रही बाधा दूर होगी. वाणी के बल पर धन प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे.
तुला - करियर में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा. जॉब में उन्नति के प्रबल योग हैं.
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन यानी महानवमी पर 9 कन्याओं का पूजन करें और उन्हें भोजन कराने के बाद उनसे आशीर्वाद लें. कन्याओं को दक्षिणा देने के बाद ही विदा करें. मान्यता है कि इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं. घर से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सुख-समृद्धि आती है.
मां शैलपुत्री - घी से बनी मिठाई
मां ब्रह्मचारिणी - चीनी या पंचामृत
मां चंद्रघंटा - दूध से बनी मिठाई
मां कूष्मांडा - मालपुआ
मां स्कंदमाता - केला
मां कात्यायनी - शहद और मीठा पान
मां कालरात्रि - गुड़ी से बनी मिठाई
मां महागौरी - नारियल
मां सिद्धिदात्री - चना, खीर, पूड़ी, हलवा
9 दिन तक व्रती तन और मन दोनों शुद्ध रखें. मन में बुरे विचार न लाए. माता की पूजा में काले कपड़े न पहनें. जिन घरों में घटस्थापना होती है वहां ब्रह्मचर्य का पालन करें. महिलाओं के लिए अपशब्द न बोलें. घर में शांति का माहौल बनाए रखें.
शैलपुत्री का अर्थ है ‘पर्वत की बेटी’. मां शैलपुत्री शैलराज हिमालय की पुत्री हैं. इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शैलपुत्री पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी और दक्ष की पुत्री थीं. एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया, परंतु भगवान शंकर को नहीं. सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं. सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी.
घर पहुंचकर सती ने जब वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. इससे सती को बहुत पीड़ा हुई. वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और योगाग्नि में खुद को जलाकर भस्म कर लिया. इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया. फिर यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं.
मां शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र है. उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. मां शैलपुत्री नंदी बैल की सवारी करती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. इनकी उपासना करने से चंद्रमा के द्वारा पड़ने वाले बुरे प्रभाव भी निष्क्रिय हो जाते हैं.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है और इसके बाद मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी के हलवे का भोग लगाने से आपको निरोग्य काया का वरदान प्राप्त होता है.
प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को नैवेद्य के रूप में गाय का घी अर्पित करना चाहिए. इसके बाद इस ब्राह्मण को दान कर दें. ऐसा करने से मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है.
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा होती है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन होता है. मां शैलपुत्री दुर्गा के नौ रूपों में पहला रूप हैं. मां शैलपुत्री को इस खास मंत्र से प्रसन्न किया जा सकता है.
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पहले दिन नवरात्रि का आरम्भ मां शैलपुत्री की पूजा के साथ होता है. नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद कलश स्थापित करें. मां शैलपुत्री का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद माता को रोली-चावल लगाएं और सफेद फूल मां को चढ़ाएं और अपना व्रत प्रारंभ करें.
मां शैलपुत्री की पूजा से पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और फिर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें. इसके साथ 5 सुपारी एक लाल कपड़े में बांधकर माता के चरणों में चढ़ाएं और सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते इस मंत्र का जाप करें.
चैत्र नवरात्रि का पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है-
- पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और फिर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें.
- अब पूर्वामुख होकर पूजा की की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इसके ऊपर केशर से 'शं' लिखें. मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित.
- सबसे पहले गणपति जी का आव्हान करें और फिर हाथ में लाल फूल लेकर मां शैलपुत्री का आव्हान करें.
- माता रानी को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, लौंग, 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
- एक लाल चुनरी में पांच प्रकार के सूखे मेवे चढ़ाएं और देवी को अर्पित करें.
- इसके साथ 5 सुपारी एक लाल कपड़े में बांधकर माता के चरणों में चढ़ाएं और सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते इस मंत्र का जाप करें.
- मान्यता है इससे मां अंबे विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें. इसी तरह शाम को भी पूजा करें.
कलश की पूजा करते हुए इस मंत्र का जाप करें, इससे सभी देवी-देवता कलश के स्वरूप में वहां वास करते हैं- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
पुराणों में कलश या घटस्थापना को सुख-समृद्धि,वैभव,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापित करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों, तीर्थों, त्रिदेव, नदियों, 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है. नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है. इससे मां दुर्गा की पूजा सफल होती है सभी कष्ट दूर होते हैं.
नवरात्रि के दौरान मां भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. इस पर्व में जौ या ज्वार का बहुत महत्व होता है. नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना या कलश स्थापना पर घर और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है. जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है.
नवरात्रि के दौरान मां भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. इस पर्व में जौ या ज्वार का बहुत महत्व होता है. नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना या कलश स्थापना पर घर और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है. जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है.
नवरात्रि में नौ दिनों तक दाढ़ी-मूंछ बनवाना, बाल या नाखून काटना शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए नवरात्रि शुरू होने से पहले ही ये सारे जरूरी कार्य निपटा लेने चाहिए और तामसिक भोजन हटाकर नवरात्रि के दिन सात्विकता का पालन करना चाहिए.
मां दूर्गा का हर रूप एक रंग दर्शाता है जैसे पहला दिन नारंगी, फिर सफेद, लाल, नीला, पीला, हरा, स्लेटी, बैंगनी, नीला और हरा है. नवरात्रि के नौ दिन इन रंगो का उपयोग करने से मां प्रसन्न होती है.
इस नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा के लिए चंदन, कलावा, कुमकुम, हल्दी, जल युक्त नारियल, गुलाल, अबीर, अक्षत, मेहंदी, इत्र, कपूर, अखंड ज्योति के लिए - दीप, घी, तेल, मौली, रूई, हवन कुंड, हवन के लिए आम की समधिया (लकड़ी), फल, मिठाई, पंचमेवा, लाल फूल, दीपक का उपयोग करें.
नवरात्रि शुरू होने से पहले पूरे घर की साफ-सफाई कर लें क्योंकि जिस घर में गंदगी होती है या जो घर अव्यवस्थित होता है वहां माता रानी का वास नहीं होता. दुर्गा मां की कृपा पाना चाहते हैं तो आज ही अपने घर की सफाई कर लें. सफाई करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें और आखिर में घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं.
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2023 में मां दुर्गा की सवारी नौका है. नाव को जल परिवहन का साधन माना जाता है. जब मां दुर्गा नाव पर आती हैं तो यह अच्छी बारिश और अच्छी फसल का संकेत होता है.
इस नवरात्रि मां दुर्गा 6 खास योग गजकेसरी, बुधादित्य, हंस, शश, धर्मात्मा, राज लक्षण योग में प्रवेश करेंगी और भक्तों को विशेष फल प्रदान करेंगी.
कलश स्थापना अखंड ज्योति के बिना अधूरी मानी जाती है इसलिए कलश स्थापित करने से पहले बड़े से मिट्टी के या पीतल के दीपक में अखंड ज्योति प्रज्वलित करें. अखंड ज्योति को आग्नेय कोण में स्थापित करना भी काफी शुभ माना जाता है.
नवरात्रि के प्रारंभ के समय इस वर्ष उत्तर भाद्रपद नक्षत्र रहेगा. शास्त्रों के अनुसार इस नक्षत्र के स्वामी शनि है और इस नक्षत्र से सभी राशियों को ज्ञान खुशी और सौभाग्य प्राप्त होगा.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त इस वर्ष 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट है. सही समय पर कलश स्थापित करने से सारी समस्याओ का अंत होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
चैत्र नवरात्रि 2023 , 22 मार्च यानि बुधवार 2023 से शुरु हो रहे हैं. कल से शुरु हो रहे नवरात्रि के लिए आप आज से तैयारी शुरु कर दें. आप मंदिर का सारा सामान आज ही खरीद लें. मां की चौकी के लिए लाल कपड़ा जरुर लाएं, साथ ही मां को लाल चुनर बहुत पंसद है. मां का साज-श्रृंगार और पुष्प भी रख लें.
बैकग्राउंड
Chaitra Navratri 2023 Highlight: जगत जननी मां दुर्गा का पर्व चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 (Chaitra Navratri 2023 start date) से आरंभ हो चुकी है, 30 मार्च 2023 को नवमी (Chaitra Navratri 2023 End date) को समाप्त होगी. चैत्र नवरात्रि की नवमी पर राम नवमी का त्योहार भी मनाया जाता है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है. चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना की जाती है, इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. इस साल नवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आ रही हैं जो शुभता का प्रतीक है, हालांकि इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत पंचक में होगी.
चैत्र नवरात्रि 2023 कब से? (Chaitra Navratri 2023 Date)
पंचांग के अनुसार उदयातिथि के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हुई है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च 2023 को घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:29 - सुबह 07:39 तक था.
चैत्र नवरात्रि 2023 तिथियां (Chaitra Navratri 2023 Tithi)
22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 नौ दिन तक मां दुर्गा की नौ स्वरूपों की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी. ये हैं चैत्र नवरात्रि की नौ देवियां और तिथि.
- चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन (22 मार्च 2023) - प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
- चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023) - द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023) - तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
- चैत्र नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023) - चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
- चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023) - पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
- चैत्र नवरात्रि छठा दिन (27 मार्च 2023) - षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
- चैत्र नवरात्रि सातवां दिन (28 मार्च 2023) - सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
- चैत्र नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023) - अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
- चैत्र नवरात्रि नवां दिन (30 मार्च 2023) - नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी
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