Chaitra Navratri 5th day: 13 अप्रैल 2024 को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां को स्कंदमाता नाम प्रदान किया गया. देवी की पांचवी शक्ति की पूजा से साधक का संतान प्राप्ति का मार्ग सुलभ हो जाता है. बुद्धि और चेतना बढ़ती है. 


मां स्कंदमाता को विद्यावाहिनी, माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं कैसे करें मां स्कंदमाता को प्रसन्न, क्या सीख देती हैं देवी स्कंदमाता.


मां स्कंदमाता की पूजा के लाभ


देवी दुर्गा की 5वीं शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है. मां की कृपा से बुद्धि में वृद्धि होती और ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है. जीवन में आ रही सभी तरह की व्याधियों का भी अंत होता है. साधक मन को एकाग्र करने में सक्षम होता है और लक्ष्य पूरा कर पाता है.


ऐसे करें देवी को प्रसन्न - देवी स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें लाल चुनरी चढ़ाएं, केला भोग में अर्पित करें और उनकी आरती करें. जरुरतमंद बच्चों को केला या हलवा बांटें.


मां स्कंदमाता क्या सीख देती हैं ?


स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं जो क्रोध का प्रतीक है और उनकी गोद में पुत्र रूप में भगवान कार्तिकेय हैं, पुत्र मोह का प्रतीक है. स्कंदमाता हमें ये संदेश  देती हैं कि सांसारिक मोह माया में रहते हुए भी भक्ति के मार्ग पर चला जा सकता है और समय आने पर बुद्धि और विवेक से असुरों का नाश करना चाहिए. जब हम ईश्वर को पाने के लिए भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो क्रोध पर हमारा पूरा नियंत्रण होना चाहिए, जिस प्रकार देवी शेर को अपने काबू में रखती है.


मां स्कंदमाता का स्वरूप


सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनके चारों ओर तेज दिखता है. चार भुजाओं वाली स्कंदमाता दाहिने भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हैं, वहीं मां दूसरी भुजा में कमल धारण की हुई हैं. मां का एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए वर मुद्रा में हैं. सिंह इनका वाहन है. स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं.


मां स्कंदमाता की आरती (Maa Skandmata Aarti)


जय तेरी हो स्कंदमाता,


पांचवां नाम तुम्हारा आता।


सब के मन की जानन हारी,


जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता


तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,


हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।


कई नामों से तुझे पुकारा,


मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता


कहीं पहाड़ों पर है डेरा,


कई शहरो में तेरा बसेरा।


हर मंदिर में तेरे नजारे,


गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता


भक्ति अपनी मुझे दिला दो,


शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।


इंद्र आदि देवता मिल सारे,


करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता


दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,


तुम ही खंडा हाथ उठाएं।


दास को सदा बचाने आईं,


चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता


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