Chaitra Navratri 2024 Day 5 Devi Skandamata Puja: मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के लिए नवरात्रि के त्योहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. नवरात्रि के इन 9 दिनों में जो पूरे श्रद्धाभाव से मां के नौ रूपों की पूजा-अराधना करता है, उसे चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति होती है.
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 09 अप्रैल 2024 को हुई है और नवरात्रि के पांचवे दिन यानी शनिवार 13 अप्रैल को देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के पांचवे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं देवी स्कंदमाता क्योंकि ये ’स्कंद’ या ’कार्तिकेय’ की माता हैं. इनकी मूर्ति में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) इनके गोद में विराजमान हैं. इस दिन योगी का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है.
इस चक्र में अवस्थित होने पर समस्त लौकिक बन्धनों से मुक्ति मिल जाती है और देवी स्कंदमाता में अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर सकता है वह निरन्तर उपासना में ही डूबा रहता है. स्कंद या कार्तिकेय या कुमार अनेक नाम से भी जाने जाते हैं. इनका वाहन मोर है. जब देवासुर संग्राम हुआ था तब ये देवताओं के सेनापति थे. स्कंद माता के दाहिने हाथ में निचली भुजा में कमल का फूल है. बाएं हाथ में वर मुद्रा धारण कर रखा है. ये शुभ वर्ण की हैं. इनका प्रार्थना मन्त्र है-
सिंहासन नित्यं पद्माश्रितकतद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
और ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
माता सब भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करती हैं. उनकी भक्ति से हम इस लोक में सुख का अनुभव करते हैं. इनकी भक्ति से सारे दरवाजे खुल जाते हैं. इनके पूजन के साथ कार्तिकेय का भी पूजन हो जाता है, सौर मंडल की देवी होने के कारण वे सम्पूर्ण तेज से युक्त है. विशुद्ध मन उनकी आराधना अत्यंत लाभदायक है. देवी पुराण के अनुसार आज के दिन 5 कन्याओं को भोजन कराया जाता है. स्त्रियां इस दिन हरा या पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं.
ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2024 Day 4: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए मंत्र, स्वरूप और महत्वनोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.