Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म में देवी पूजन का क्यों है इतना महत्व, घर पर मां दुर्गा की कैसी तस्वीर रखें, जानिए
Chaitra Navratri 2024: मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. आइये जानते हैं चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा से जुड़ी अहम जानकारियां.
Chaitra Navratri 2024: चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि यानी 9 अप्रैल से नौ दिवसीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसी दिन से कालयुक्त नामक नया विक्रम संवत 2081 भी शुरू हो रहा है.
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-पाठ अनुष्ठान इत्यादि शुरू किए जाते हैं. नारियल सहित घट की स्थापना करके अखंड दीप प्रज्वलित किया जाता है. शुद्ध मिट्टी में जौ के बीज बोए जाते हैं. जौ पर वैदिक मंत्र आदि के पाठ के साथ जल से छींटे दिए जाते हैं.
घटस्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat )
इस वर्ष घट स्थापना 9 अप्रैल 2024 सुबह 10:00 बजे से पहले किया जाना उचित है. यदि किसी कारण या समय चूक जाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त जोकि दोपहर 11:58 से 12:50 बजे तक रहेगा, इस समय घटस्थापना आदि किए जा सकते हैं.
नवरात्रि में व्रत का पालन करना चाहिए. नवरात्रि में व्रत आदि के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व रहता है. सुबह या शाम कम से कम एक बार दुर्गा सप्तशती के पाठ को अवश्य पूरा करना चाहिए. जो लोग पूरी नवरात्रि के पूरे समय तक बड़े पूजा अनुष्ठान का संकल्प लेकर कार्य करना चाहते हों, वे नवार्ण मंत्र का विधिवत जाप अवश्य करें. शास्त्रों में नवार्ण मंत्र का पुरुश्चरण सवा लाख मंत्र जाप कहा गया है. लेकिन जो लोग इतना अधिक जाप करने में असमर्थ हैं, वे यथाशक्ति मंत्र जाप करके उसका दशांश हवन कर सकते हैं.
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मां दुर्गा का क्यों है इतना महत्व -
दुर्गा सप्तशती में वर्णन आता है कि राक्षसों ने जब देवताओं के नाक में दम कर रखा था तब उनसे छुटकारा पाने के लिए सभी देवी देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियों के अंश को जोड़कर एक दिव्य शक्ति का निर्माण किया जोकि मां दुर्गा के रूप में प्रकट हुईं. मां दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया. महिषासुर के साथ-साथ चंड़ मुंड आदि जैसे भी कई दैत्य का संहार करके मां दुर्गा ने देवताओं को कष्ट से मुक्त किया था. वर्तमान समय में यह एक श्लोक भी प्रसिद्ध है -
“कलौ चण्डी विनायकौ”
अर्थ- कलयुग में मां दुर्गा और गणेश जी की पूजा से ही मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
इसके साथ-साथ निवारण मंत्र में जो 9 बीज मंत्र है वह अपने आप में ही अलग-अलग देवियों की शक्ति को समाहित किए हुए है. इसलिए इस मंत्र के जाप से भी व्यक्ति के जीवन में सफलता मिलने के रास्ते खुलते हैं तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
घर पर देवी दुर्गा की कैसी चित्र रखें
घरों में देवी दुर्गा का कोई भी चित्र मूर्ति रखना हो तो सौम्य स्वभाव वाला चित्र मूर्ति ही रखना चाहिए, जिसमें शेर का मुंह बंद हो तथा मां दुर्गा का हाथ वरदान की मुद्रा में हो. उग्र स्वभाव वाला चित्र घर में नहीं होना चाहिए. ऐसे चित्रों से घर पर क्रोध तथा उग्रभाव का संचार हो जाता है. उग्र चित्र विशेष अनुष्ठानों में ही प्रयोग किए जाते हैं. इन चित्रों का प्रयोग गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए उचित नहीं कहा गया है.
देव पंचायत - देव पंचायत में पांच मुख्य देवी-देवता हैं, जिनकी स्थापना घर में पूजा स्थान पर किए जाते हैं. वे सूर्य, शिवजी, गणेश, विष्णु और दुर्गा हैं. यह वे देवी देवता है जिनके पूजा के माध्यम से मनुष्य का कल्याण होता है. मां दुर्गा का इसमें विशेष स्थान है, इसलिए भी मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए.
शिव के साथ हो मां दुर्गा की पूजा -
मां दुर्गा की पूजा करते समय एक सावधानी रखनी चाहिए कि अकेले चित्र या मूर्ति के साथ कभी भी मां दुर्गा की पूजा ना करें. क्योंकि अकेली स्त्री शक्ति अनियंत्रित होती है. स्त्री शक्ति को नियंत्रण के लिए पुरुष शक्ति का समर्थन अवश्य चाहिए होता है. दुर्गा मां के साथ शिवजी भगवान की पूजा अवश्य की जानी चाहिए. इससे मनुष्य का कल्याण होता है.
तंत्र बाधाओं का समाधान दुर्गा सप्तशती में: जो लोग भूत प्रेत तंत्र बाधा आदि से परेशान हैं, वे दुर्गा सप्तशती में दिए गए देवी कवच का सुबह-शाम पाठ अवश्य किया करें. इससे उनके जीवन की बाधाएं समाप्त होंगी अथवा इन्हें समाप्त करने के मार्ग खुलेंगे. बच्चों को नजर दोष लगना या डर जाना आदि जैसी समस्याएं हो तो इस कवच का जाप करके अभिमंत्रित जल पिलाने से बच्चों की यह समस्याएं दूर होती हैं.
विवाह के लिए उपाय - जिन युवकों के विवाह में समस्याएं आ रही हो वह नवरात्रि का व्रत करने के साथ-साथ मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करके तथा विधिवत पूजन करके निम्नलिखित मन्त्र का सुबह शाम 11 माला मंत्र जप करें तथा अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन आदि करवाकर तथा दशांश हवन करें.
मन्त्र:-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
अर्थ- हे देवी, मुझे मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।
कन्या पूजन - नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. नौ कन्याओं का पूजन किया जाना चाहिए. प्रत्येक कन्या में दुर्गा मां के नौ रूपों की भावना रखें तथा कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उन्हें भोजन करवा कर वस्त्र आदि उपहार देकर दक्षिणा दें. यह अपने आप में बहुत बड़ा पुण्य माना गया है. जो पापों का नाश करके सुख समृद्धि प्रदान करता है.
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