Chaitra Navratri 2024: इस बार नवरात्रि पर रहेगी शनि की छाया, 29 साल बाद बन रहा है खास संयोग, जानें क्या होगा असर
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुकी है. इस बार नवरात्रि में शनि की छाया रहेगी, जो काफी शुभ मानी जा रही है. प्रयागराज के ज्योतिष से जानें नवरात्रि पर शनि देव का क्या असर रहेगा.
Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल 2024 मंगलवार से शुरू चुकी चैत्र नवरात्रि पर इस बार ग्रहों और नक्षत्रों का खास संयोग बन रहा है. ग्रहों की शुभ स्थिति के चलते इस बार की नवरात्रि को बेहद फलदाई और महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
ज्योतिष और धर्म के जानकारों के मुताबिक इस बार सूर्य- बुद्ध और शुक्र एक ही राशि में है. इसके अलावा इस बार की नवरात्रि पर शनि की छाया भी रहेगी. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि पर क्या है इस बार खास
29 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
चैत्र नवरात्रि पर मीन राशि में सूर्य, बुध और शुक्र मौजूद रहेंगे. इस तरह का खास संयोग 29 साल बाद बन रहा है. इससे सभी राशियों पर अलग-अलग असर पड़ेगा, जबकि यह देश की तरक्की और खुशहाली के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है.
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नवरात्रि पर शनि की छाया का शुभ असर
संगम नगरी प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य संजय वासुदेव के मुताबिक शनि की छाया के चलते इस बार की नवरात्रि त्याग के बजाय कर्म प्रधान रहेगी. शनि को न्याय का देवता माना जाता है, लिहाजा अच्छे कर्म करने वाले देवी मां के भक्तों पर जहां अमृत वर्षा होगी, वही गलत काम करने और खराब सोच रखने वालों पर कृपा कतई नहीं बरसेगी. खास बात है कि नवरात्र पर मंगल की महादशा बेहद शुभ है.
इस नवरात्रि बरतें ये सावधानी
आचार्य संजय वासुदेव के अनुसार नवरात्रि पर देवी मां के भक्तों को कई खास सावधानियां बरतनी होंगी. व्रत रहने वाले भक्तों को सिर्फ एक वक्त ही कुछ खाना होगा. दूसरे वक्त के खाने की सामग्री किसी गरीब व्यक्ति को दान दे दें. इस नवरात्रि पर सूर्य बुध और शुक्र के एक ही राशि में होने से इस बार पर्सनैलिटी, बुद्धि और संपन्नता में बढ़ोतरी होगी. करियर में विशेष लाभ मिलेगा.
प्रयागराज में अलोप शंकरी शक्तिपीठ की महीमा
नवरात्रि का पर्व संगम नगरी प्रयागराज में भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. यहां शक्तिपीठ अलोप शंकरी समेत दूसरे देवी मंदिरों में खास इंतजाम रहेंगे. यहां मंदिर में एक पालन लटकता रहता है उसी को देवी का स्वरूप मानकर श्रद्धालु दर्शन करते हैं। दरअसल, यही स्थान है जहां मां सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था और गिरते ही यहां विलुप्त हो गया था. यहां नवरात्रि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए आते हैं. मान्यता है यहां आने वाले कभी खाली हाथ नहीं जाते.
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