Chaitra Navratri 5th Day: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की चाहिए कृपा तो जान लें इस दिन की पूजा, मंत्र और विधि
Chaitra Navratri 5th Day: चैत्र नवरात्रि (Navratri) के पांचवें दिन मां स्कंदमाता (Maa Skandmata ) की पूजा का विधान है. पांचवा दिन होने के कारण इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है.
Chaitra Navratri 5th day : इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है. नवरात्रि के पांचवें दिन (Navratri 5th Day) मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) की पूजा होती है. मां के 5वें स्वरूप का यह नाम उन्हें भगवान कार्तिकेय से मिला है. ऐसा माना जाता है कि माता के इस ममतामयी रूप की पूजा अर्चना से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है. ऐसे में इस दिन की पूजा विधि, मंत्र, कवच आइए जानते हैं-
नवरात्रि पांचवा दिन मां स्कंदमाता की पूजा विधि (Maa Skandmata)
मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) के इस स्वरूप की बात करें तो, इनकी चार भुजाएं हैं. मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है. इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल है.
बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा है. नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल लिया हुआ है. स्कंदमाता (Maa Skandmata) सिंह की सवारी करती हैं. हमेशा कमल के आसन पर विराजे रहने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है.
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता (Maa Skandmata) की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान कर लें. फिर पीले रंग के वस्त्र धारण करके पूजा के लिए बैठे.
हाथ में लाल फूल लेकर देवी स्कंदमाता (Maa Skandmata) का ध्यान करें. देवी को अक्षत, धूप, इत्र, फूल, बताशा, पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें.
मां (Maa Skandmata) के सामने धूप-दीप जलाएं. इसके बाद मां का पसंदीदा भोग केला उनको अर्पित करें.
मां (Maa Skandmata) की आरती कर, शंख बजाएं और मंत्रों का जाप करें. नवरात्रि के पांचवें दिन महिलाएं लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री, अक्षत समेत लाल फूल मां को अर्पित करें.
स्कंदमाता (Maa Skandmata) की पूजा में धनुष बाण अर्पित कर सकते हैं. इसका विशेष महत्व माना गया है. इसके बाद माता की आरती करके फल, मिठाई इत्यादि का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें.
मां स्कंदमाता के पूजा मंत्र (Maa Skandmata Puja Mantra)
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) की पूजा में उनके इन मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और संतान की प्राप्ति होती है.
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।’
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
मां स्कंदमाता देवी कवच (Maa Skandmata Kavach)
मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) का यह कवच मंत्र बहुत शक्तिशाली है. चैत्र नवरात्रि में स्कंदमाता के इस कवच मंत्र के जाप से दीर्घायु और संतान की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर हो जाती है.
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुता॥
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवै॥
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