देशभर में चैत्र नवरात्रि को लेकर धूम मची हुई है. लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. हालांकि, इस साल कोरोना महामारी की वजह से सरकार ने जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. हर साल चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि इन दिनों में मन से मां दुर्गा की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. साथ ही साथ कष्टों का निवारण भी होता है. यह त्योहार 21 अप्रैल तक चलेगा. मां दुर्गा के भक्त 22 अप्रैल को ब्रत तोड़ सकेंगे. इन 9 दिनों में पूजा-पाठ के साथ साथ दान पुण्य करना भी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इन 9 दिनों में गरीबों की मदद करने से मां दुर्गा बेहद खुश होती हैं.


पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा


पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. मां शैलपुत्री को पार्वती और हेमावती भी पुकारा जाता है. श्वेत वसना देवी मां की सवारी वृष अर्थात् बैल है. सनातन धर्म में बैल अर्थात् नंदी को भगवान शिव की सवारी और धर्म का प्रतीक माना जाता है. चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन धर्म के प्रतीक वृष पर सवार मां शैलपुत्री का साधना, आराधना और पूजा की जाती है. इन्हें वृषारूढ़ा भी पुकारा जाता है. मां शैलपुत्री की आनंदमयि छबि है. उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल फूल है. मां की सौम्य छबि भगवान चंद्रमौली अर्थात् शिव को प्रसन्नता देती है. मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्र ग्रह के सभी दोष दूर होते हैं.


इन बातों का रखें ध्यान 


मां दुर्गा की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है. शास्त्रों में मां की पूजा किन फूलों से की जानी चाहिए इसके बारे में भी बताया गया है. नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा की पूजा में मोगरा और पारजिात के फूलों का प्रयोग करना चाहिए. इसके साथ ही लक्ष्मी जी की पूजा गुलाब और स्थलकमल, मां शारदा की पूजा में रातरानी के पुष्प और माता वैष्णों देवी को रजनीगंधा के फूल चढ़ाने चाहिए.


जानिए घट स्थापना विधि


चौकी पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं. इस पर अक्षत फैलाएं. मिट्टी के पात्र को रखें और जौ बो दें. पात्र के उूपर जल कलश स्थापित करें. मौली कलावा बांधें. पुंगीफल अर्थात् सुपाड़ी, सोने चांदी अथवा मुद्रा का सिक्का डालें. अशोक के पत्ते के उूपर चुनरी में नारियल लपेट कर कलश के मुख पर रख दें. आदिशक्ति पराम्बा मां भवगती का आह्वान करें. धूप दीपादि से पूजन करें. 


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