Chaitra Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद पुण्यफलदायी मानी गई है. मान्यता है कि श्री हरि विष्णु की अर्धांगिनी और धन की देवी माता लक्ष्मी को पूर्णिमा की तिथि बहुत प्रिय है. साल 12 पूर्णिमा आती हैं लेकिन चैत्र माह की पूर्णिमा अधिक महत्वपूर्ण है.


चैत्र पूर्णिमा हिंदू नववर्ष (Hindu Navvarsh) की पहली पूर्णिमा मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान के अलावा हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा 2024 की डेट, पूजा मुहूर्त-


चैत्र पूर्णिमा 2024 डेट (Chaitra Purnima 2024 Kab hai)


पूर्णिमा (Purnima) की तिथि, 23 अप्रैल 2024, मंगलवार को है. इसी दिन हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2024) भी है. इस दिन विष्णु जी के स्वरूप भगवान सत्य नारायण की पूजा की जाती है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य और रात में लक्ष्मी पूजन करने से सुख-समृद्धि आती है.


चैत्र पूर्णिमा 2024 मुहूर्त (Chaitra Purnima 2024 Muhurat)


पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर शुरू होकर 6 अप्रैल 2024 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार चैत्र पूर्णिमा (Purnima) 23 अप्रैल 2024 को है.



  • स्नान मुहूर्त - सुबह 04.20 - सुबह 05.04

  • विष्णु और हनुमान जी की पूजा - सुबह 09.03 - दोपहर 01.58

  • चंद्रोदय समय - शाम 06.25 

  • लक्ष्मी पूजन - रात 11.27 - देर रात 12.41, 24 अप्रैल


चैत्र पूर्णिमा महत्व (Chaitra Purnima Significance)


चैत्र पूर्णिमा के दिन वानरराज केसरी नंदन और माता अंजनी के घर हनुमान जी का जन्म हुआ था. हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है.


कहते हैं चैत्र पूर्णिमा पर जो बजरंगबली की आराधना करता है, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa), रामायण पाठ करता है स्वंय हनुमान जी (Hanuman Ji) उसकी हर संकट में रक्षा करते हैं, साधक को जीवन में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है.


वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2024) के दिन भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने ब्रज में रास उत्सव रचाया था, जिसे महारास (Maha Ras) के नाम से जाना जाता है.


इस महारास में हजारों गोपियों ने भाग लिया था और हर गोपी के साथ भगवान श्रीकृष्ण रातभर नाचे थे. भगवान कृष्ण ने यह कार्य अपनी योगमाया से किया था. पूर्णिमा पर किया तीर्थ स्नान-दान कभी न खत्म होने वाला पुण्य देता है.


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