Chanakya Niti : चाणक्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. उन्होंने सत्ता और समाज का बड़ी ही गहराई से अध्ययन किया. उनका संबंध प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय से भी है. चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जानते हैं. उनकी शिक्षाएं और दर्शन चाणक्य नीति में निहित है. चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनाने के लिए प्रेरित करती है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-


ये कहलाते हैं बुद्धिमान


चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति बुरे समय और विपत्तिकाल के लिए धन को बचाकर रखता है वह बुद्धिमान कहलाता है. धन का संचय हर व्यक्ति को करना चाहिए. जो ऐसा नहीं करते हैं और भोग विलासता में कमाए हुए धन को खर्च करते हैं वे बुरे वक्त में हाथ मलते हैं. वहीं बुद्धिमान व्यक्ति बुरे समय को भी हंसकर काटता है. विपत्ति भी उसका नकुसान नहीं कर पाती है. धन का संचय बहुत जरूरी है. धन व्यक्ति के जीवन को संतुलित बनाता और उसके आत्मविश्वास में वृद्धि करता है. इसलिए इसका उपयोग साधन के रूप में करना चाहिए. जो लोग ऐसा नहीं करते हैं और बेकार के कार्यों में धन को व्यय करते हैं वे मुसीबत के समय दुख को भोगते हैं.


इस स्थान पर मनुष्य को नहीं रहना चाहिए

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को उस स्थान को तत्काल त्याग देना चाहिए उसका आदर न हो. व्यक्ति के लिए सम्मान सर्वोपरि है. सम्मान खा देने वाला व्यक्ति मृत समान है. वहीं व्यक्ति को उस स्थान को भी छोड़ देना चाहिए जहां उसके लिए रोजगार और जीविका का कोई साधन न हो. वहीं  जहां पर कोई मित्र न हो, सगे संबंधी और रिश्तेदार न हो उस स्थान पर भी व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए. व्यक्ति को वह स्थान भी छोड़ देना चाहिए जहां पर शिक्षा और अध्ययन की कोई व्यवस्था न हो. इन स्थानों को जो त्याग नहीं पाता है वह अपने जीवन को धीरे- धीरे नष्ट कर लेता है.


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