(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chanakya Niti: नया बिजनेस शुरू करने की योजना बना रहे हैं तो इन बातों को ध्यान में रखें
Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति कहती है कि कोई भी नया करने से पहले उसकी पूरी रणनीति और रूप रेखा बना लेनी चाहिए. बिजनेस के मामले में भी चाणक्य की ये बात सटीक बैठती है. आइए जानते हैं आज का चाणक्य नीति.
Chanakya Niti Hindi: चाणक्य शिक्षक होने के साथ साथ राजनीति, कूटनीति, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र के भी विद्वान थे. आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को सदैव बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है. यही वजह है कि चाणक्य की चाणक्य नीति का आज भी महत्व कम नहीं हुआ है.
जो व्यक्ति जीवन में कुछ नया करना चाहते हैं. उनके लिए चाणक्य की यह नीति बहुत काम आ सकती है. चाणक्य के अनुया कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपनी क्षमता और संसाधनों का सही ज्ञान होना परम आवश्यक है. जब तक व्यक्ति इन बातों को अनदेखा करेगा, सफलता उससे दूर रहेगी. इसलिए इन बातों को पर जरूर गौर करें-
कार्य योजना का निर्माण करें किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे पहले उसकी योजना को तैयार करना चाहिए. जैसे इस कार्य को पूरा करने में किन किन चीजों की आवश्यकता पड़ेगी. इन चीजों की कैसे पूर्ति होगी, इत्यादि. जब किसी भी कार्य की योजना बन जाती है तो उसे पूर्ण करने में आसानी आती है. बिजनेस के मामले में भी यही बात लागू होती है.
कठोर परिश्रम से मिलती है सफलता सफलता आसानी से प्राप्त नहीं होता है इसके लिए व्यक्ति को कठोर परिश्रम करना पड़ता है और परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है. इसलिए जब भी कोई नया कार्य आरंभ करें उसके लिए कठोर परिश्रम करने को सदैव तैयार रहना चाहिए. मेहनत में ही सफलता का राज छिपा होता है.
योग्य सहयोगियों का साथ लें व्यापार में सफलता प्राप्त करनी है तो सबसे पहले योग्य सहयोगियों की तलाश करें. क्योंकि कोई भी बड़ा कार्य अकेले पूर्ण नहीं होता है इसमें बहुत से लोगों को श्रम और सहयोग सम्मिलित होता है. इसलिए आपके पास जितने कुशल, योग्य और परिश्रमी सहयोगी होंगे सफलता उतनी ही नजदीक होगी. चाणक्य नीति के इस श्लोक को समझें
को काल: कानि मित्राणि को देश: कौ व्ययागमौ। कोवाहं का च मे शक्ति: इति चिन्त्यं मुहुर्मुह:।। किसी भी कार्य को करने से पहले चाणक्य के इस श्लोक को जान लेना चाहिए. इस श्लोक का अर्थ है-
किसी भी कार्य को करने से पहले समय और स्थान का विचार करना चाहिए, इसके बाद यह जानना चाहिए कि उसका सहयोग करने वाले कौन हैं और आय-व्यय यानि संसाधन किस प्रकार का है और स्वयं की योग्यता किस तरह की है. यदि इन बातों को समझ लिया तो कोई भी नया कार्य आरंभ करने में असफलता प्राप्त नहीं होगी.
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