Chanakya Niti Hindi: चाणक्य एक अर्थशास्त्री और शिक्षक होने के साथ साथ श्रेष्ठ विद्वान भी थे. उन्होंने मानव को प्रभावित करने वाली हर सूक्ष्म से सूक्ष्म चीज का बहुत ही गहनता से अध्ययन किया था. इन अध्ययन और अनुभवों के आधार पर कि व्यक्ति कितना ही कुशल और योग्य क्यों न हो अगर उसमें ये अवगुण है तो उसका जीवन अभावों से भर जाता है. इसलिए मनुष्य को अपने भीतर इन अवगुणों को कभी नहीं पनपने देना चाहिए.
इन अवगुणों का त्याग करें
नकारात्मक सोच से दूर रहें: व्यक्ति को सदैव नकारात्मक सोच और विचारों से दूर रहना चाहिए. नकारात्मकता व्यक्ति की कुशलता का नाश करती है. व्यक्ति पर जब नकारात्मकता हावी होने लगती है तो व्यक्ति अच्छे बुरे का भेद नहीं कर पाता है और एक दिन वह अपना सब कुछ गंवा देता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में धन का संकट भी खड़ा हो जाता है क्योंकि लक्ष्मी जी उसी का वरण करती हैं जो सकारात्मक विचारों से युक्त होता है.
बुराई न सुने और न करें: बुराई से जितना हो सके दूर ही रहना चाहिए. ये एक ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर नष्ट करने लगती है. बुराई करने और सुनने से व्यक्ति की गंभीरता कम होती है. समाज में उसकी छवि खराब होती है. दूसरे लोग दूरी बनाना आरंभ कर देते हैं. समय रहते यदि से अवगुण से मुक्ति न पाई गई तो व्यक्ति के अपने भी साथ छोड़ने लगते हैं. लक्ष्मी जी भी ऐसे लोगों से प्रसन्न नहीं रहती हैं.
लालच का त्याग करें: व्यक्ति को लालच से दूर रहना चाहिए. लालच व्यक्ति को हर तरह से नुकसान पहुंचाता है. ये कभी किसी का भला नहीं करता है. लालच व्यक्ति को स्वार्थी और निष्ठुर बना देता है. उसके भीतर संवेदनाएं समाप्त होेने लगती हैं. ऐसे व्यक्ति स्वयं कभी प्रसन्न नहीं रहते हैं उनके भीतर सदैव लालच की भावना प्रबल रहती है. लक्ष्मी जी भी ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती हैं.