Chanakya Niti Hindi: व्यक्ति को सदैव आने वाले खतरों को लेकर सावधान और सर्तक रहना चाहिए. चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को हमेशा नाक, कान और आंखों को खुला रखना चाहिए और आसपास होने वाली हर छोटी बड़ी घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि जरा सी भी लापरवाही कभी कभी बारी मुसीबत का कारण बन जाती है.


चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी थे. उनका मानना है कि व्यक्ति को दुख और सुख में हमेशा अपने चित्त को स्थिर रखना चाहिए, क्योंकि दुख में अधिक शोक करने से भी नुकसान होता है और सुख में अति प्रसन्नता भी मुसीबत का कारण बन सकता है. इसलिए व्यक्ति को दोनों ही स्थितियों में अपने आप को संतुलित रखने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही इन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए-


शकटं पञ्चहस्तेन दशहस्तेन वाजिनम्।
हस्तिनं शतहस्तेन देशत्यागेन दुर्जनम्॥


चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि गाड़ी यानि वाहन से पांच हाथ, घोड़े से दस हाथ और हाथी से सौ हाथ दूर रहना चाहिए. लेकिन इस सबसे भी सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात ये है कि दुष्ट व्यक्ति से बचने के लिए आवश्यकता पड़ने पर देश भी छोड़ा जा सकता है.


वाहन से दूरी: वाहन के पास खड़े होने से कभी भी दुर्घटना होने की संभावना रहती है इसलिए वाहन से हमेशा इतनी दूरी होनी चाहिए कि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके.


घोड़े से दूरी: घोड़े में असीम शक्ति होती है. घोडे से भी हमेशा एक निश्चित दूरी बनाकर  रखना चाहिए. क्योंकि घोड़ा भी नुकसान पहुंचा सकता है.


हाथी से दूरी: हाथी देखने में भलेही  सीधा साधा जानवर प्रतीत होता है लेकिन फिर भी इससे दूरी बनाकर ही रहना चाहिए. क्योकि इसके नाराज होने पर विशाल वृक्ष भी तिनके के सामने उखड़ जाते हैं.


दुष्ट व्यक्ति: चाणक्य का यह श्लोक व्यक्ति की संगत की तरफ इशारा करता है. चाणक्य के अनुसार कभी भी दुष्ट व्यक्ति का साथ नहीं लेना चाहिए. क्योंकि दुष्ट अपनी दुष्टता का कभी त्याग नहीं करता है और मौका आने पर कभी भी हानि पहुंचा सकता है. दुष्ट व्यक्ति से दूर रहने के लिए स्थान भी बदलना पड़े तो बदल लेने में ही समझदारी है.


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