Chanakya Niti Hindi: कोरोना वायरस से पूरा देश जूझ रहा है. भारत में यह खतरनाक महामारी तेजी से अपने पैर पसार रही है. कोराना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. महामारी भी विपत्ति की तरह होती है. इसलिए इस रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए. सजगता, सावधानी और संयम से ही कोरोना जैसी बड़ी विपत्ति को हराया जा सकता है. विपत्ति से बचने के लिए चाणक्य ने कुछ बातें बताई हैं.
चाणक्य के अनुसाार जब बड़ा संकट आ जाए तो व्यक्ति को गंभीर होकर इसे पराजित करने के बारे में सोचना चाहिए. क्योंकि संकट के समय किसी भी प्रकार का अतिउत्साह या लापरवाही की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. इसलिए विपत्ति जब बड़ी हो तो व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.
चाणक्य एक शिक्षाविद् होने के साथ साथ एक योग्य अर्थशास्त्री भी थे. विपत्ति आर्थिक स्तर पर भी व्यक्ति को चोट पहुंचाती है. इसलिए व्यक्ति को ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए और इन कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
अतिउत्साह में आकर न करें कोई कार्य
विपत्ति के समय व्यक्ति को बहुत ही संयम से काम लेना चाहिए कई बार व्यक्ति अतिउत्साह में आकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे उसे स्वयं को तो नुकसान उठाना ही पड़ता है, साथ ही साथ अन्य लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जल्दबाजी से दूर रहें
संकट आने पर कभी भी जोश में आकर ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिसमें नुकसान होने की अधिक संभावना हो. खराब समय आने पर कोई भी कदम जल्दबाजी में न उठाएं ऐसा करना बहुत ही खतरनाक हो सकता है. इसलिए कोई कार्य करें तो उससे पहले काफी सोच विचार करें और हालातों का अध्ययन करें उसके बाद ही कोई कदम उठाएं.
लापरवाही न बरतें
खराब समय होतो व्यक्ति को बहुत ही धैर्य के साथ कार्य करना चाहिए और वर्तमान की स्थिति का सही आंकलन करते हुए भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. विपत्ति आने पर सबसे पहले स्वयं को सुरक्षित करने का प्रयास कर करना चाहिए. विपत्ति के अनुसार वे सभी उपायों का सख्ती से पालन करना चाहिए जो प्रमाणिक तौर पर निर्धारित किए जाते हैं.
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