Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य के अनुसार बच्चों में गलत आदतों का प्रवेश बहुत जल्दी होता है. समय रहते यदि इन पर ध्यान न दिया जाए तो संतान के साथ माता पिता को भी कष्ट उठाना पड़ता है. बच्चे देश का भविष्य होते हैं. वहीं अभिभावकों के लिए बच्चे बुढ़ापे का सहारा होते हैं. इसलिए बच्चों के मामले में ठीक उसी तरह से ध्यान और सर्तकता बरतनी चाहिए जिस तरह से एक माली अपने बाग की रक्षा करता है. माली अपने बाग को हरा भरा और सुंदर बनाए रखने के लिए समय-समय पर धूप, बारिश और सर्दी से बचाता है. माली अपने बाग पर जितना अधिक ध्यान देगा, बाग उतना ही मोहक और आकर्षक होगा. बच्चों के लालन पालन में भी यही बात लागू होती है.


चाणक्य की चाणक्य नीति का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि बच्चों के लालन पालन को लेकर कितनी सटीक और प्रभावशाली बातें बताई हैं. चाणक्य के अनुसार बच्चे ही किसी भी देश या राज्य का भविष्य होते हैं. इसलिए बच्चों की परवरिश बहुत ही अनुशासित और आर्दश तरीके से की जानी चाहिए. बच्चों के लालन पालन को लेकर चाणक्य कहते हैं कि बच्चों को अधिक प्यार में नहीं रखना चाहिए, अधिक लाड प्यार बच्चों में दोष पैदा करता है. जिस प्रकार शरीर में शक्कर की अधिक मात्रा से मधुमेह का खतरा बना रहता है, उसी प्रकार अधिक प्यार से बच्चे अपने लक्ष्य से भटकने लगते हैं.अधिक लाड प्यार से बच्चे कभी कभी जिद्दी बन जाते हैं. बच्चों के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं मानी गई है.


बच्चों को समय समय पर डांटते और टोकते रहें
चाणक्य के अनुसार बच्चों को समय समय पर ताड़ना यानि डांटना,रोकना और टोकते रहना चाहिए. चाणक्य के अनुसार बच्चों में अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा के प्रति ललक पैदा करनी चाहिए. कभी कभी माता पिता को बच्चों को डांटने में संकोच करने लगते हैं. ऐसा न करें. जिस प्रकार मिट्टी के बर्तन को आकार देने के लिए थपकी देनी पड़ती है उसी प्रकार से माता पिता को समय समय जरूरत पड़ने पर बच्चों को रोकना और टोकने से नहीं घबराना चाहिए. उन्हें प्रेम पूर्वक गलत और सही का भेद बताएं. ताकि वे गलतियों को न दोहराएं.


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