Chanakya Niti: चाणक्य के इन दो श्लोक में छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य, जानें चाणक्य नीति
Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि एक गुण से ही व्यक्ति जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है. यानि व्यक्ति एक गुण से ही सफलता प्राप्त कर सकता है.
![Chanakya Niti: चाणक्य के इन दो श्लोक में छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य, जानें चाणक्य नीति Chanakya Niti Chanakya Niti In Hindi Chanakya Niti For Success In Life Only Superior Quality Can Lift Person To Heigh Chanakya Niti: चाणक्य के इन दो श्लोक में छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य, जानें चाणक्य नीति](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/07/01203051/Chanakya-Niti.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chanakya Niti Hindi: चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक माने जाते हैं. आचार्य चाणक्य की बातें और उनके द्वारा दी गईं शिक्षाएं व्यक्ति को जीवन में सफल बनाने के लिए प्रेरित करती हैं. चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से था. चाणक्य तक्षशिला विश्व विद्यालय में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते थे. चाणक्य को कई विषयों का ज्ञाता भी कहा जाता है. चाणक्य को अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र के साथ साथ सैन्य विज्ञान तथा कूटनीति शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था. चाणक्य के ज्ञान का दायरा बहुत ही विशाल था. यही कारण है कि उन्होने हर उस विषय पर प्रकाश डाला है जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित करता है.
चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को सफल होने के लिए बहुत अधिक विशेष गुणों की आवश्यकता नहीं होती है. व्यक्ति कभी कभी एक गुण से ही सफलता प्राप्त कर सकता है. चाणक्य के अनुसार एक श्रेष्ठ गुण ही व्यक्ति को बुलंदी पर पहुंचा सकता है.
एकेनापि सुवर्ण पुष्पितेन सुगंधिना। वसितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा।
चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है कि गुणवान व्यक्ति अपने एक गुण से ही सभी के बीच अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहता है. वह एक गुण की उसकी संपूर्ण पहचान बन जाता है. चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से संपूर्ण वन में सुंदर फूलों वाला एक पौधा ही अपनी सुगंध से पूरे वन को सुंगधित कर सकता है. ठीक उसी तरह से एक सुपुत्र ही पूरे कुल का नाम रोशन करने के लिए काफी होता है.
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्ममानेन वहिृना। दह्मते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का भाव ये है कि जिस प्रकार से जंगल में सूखे वृक्ष में आग लगने से संपूर्ण वन जलकर भस्म हो जाता है, उसी प्रकार कुपुत्र पैदा होने पर पूरा कुल नष्ट हो जाता है और अपयश की प्राप्ति होती है. चाणक्य की इन दोनों ही बातों का अर्थ ये भी है कि गुण से युक्त व्यक्ति सम्मान पाता है और अवगुण धारण करने वाला व्यक्ति अपयश दिलाने का कार्य करता है. इसलिए गुणवान बनाना चाहिए.
वृषभ राशि: मंगल और राहु की युति से बन रहा है अंगारक योग, जानें भविष्यफल
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/e4a9eaf90f4980de05631c081223bb0f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)