Chanakya Niti Hindi: चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अधिकतर रिश्ते उसे विरासत में प्राप्त होते हैं. कुछ रिश्ते व्यक्ति स्वयं बनाता है. इन रिश्तों में कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं जिनका नाता दिल से होता है.


चाणक्य के मुताबिक दिल के रिश्तों को कभी तोड़ने की कोशिश नहीं करना चाहिए. दुख और बुरे वक्त में दिल के रिश्ते ही काम आते हैं. इसलिए इन रिश्तों को हमेशा सम्मान देना चाहिए. चाणक्य नीति कहती है कि उस रिश्ते को आखिरी सांस तक निभाना चाहिए जो आपके सबसे खराब समय में साथ खड़े थे.


चाणक्य के अनुसार जो लोग खराब समय में साथ देने वालों को भूला देते हैं और उनके सहयोग, योगदान कमतर आंकते हैं ऐसे लोगों को जीवन में बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं. समय किसी का भी कभी खराब आ सकता है. ऐसा भी नहीं कि एक बार समय खराब आने के बाद दोबारा नहीं आएगा. समय कभी खराब आ सकता है. इसलिए रिश्तों के मामलों में व्यक्ति को सदैव सजग और सावधान रहना चाहिए. इन रिश्तों के बारे में व्यक्ति को अधिक ध्यान रखना चाहिए.


बुरे वक्त में जो साथ दे, उसे कभी न छोड़ो
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जो आपके बुरे वक्त में छाया बनकर साथ खड़ा रहा हो, और दिन रात आपकी मदद के लिए तैयार रहा हो, ऐसे व्यक्ति का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. ऐसे लोगों का जीवन भर सम्मान करना चाहिए. वक्त आने पर आपको भी उसी तरह से साथ निभाना चाहिए जिस प्रकार से उसने आपके बुरे वक्त में साथ दिया था.


सुख में नहीं खराब समय आने पर होती है रिश्तों की पहचान
चाणक्य के अनुसार सुख में व्यक्ति कभी कभी अपने आसपास मौजूद रिश्तों की अहमियत को महूसस नहीं कर पाता है. चाणक्य के अनुसार रिश्तों की पहचान खराब समय में ही होती है. खराब समय आने पर मतलबी और पद, प्रतिष्ठा से जुड़े लोग सबसे पहले आपका साथ छोड़ते हैं. बुरे वक्त में जो उसी भाव से नाता जोड़े रखे और मदद के लिए तैयार रहे वही रिश्ता असली है. चाणक्य के अनुसार खराब समय आने पर ही सेवक, मित्र और पत्नी की पहचान होती है.


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