Chanakya Niti Hindi: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति गलत आदतों से घिरा रहता है वह कभी भी श्रेष्ठ नहीं बन सकता है. क्योंकि जो अच्छे कार्यों को करता है वहीं व्यक्ति ही श्रेष्ठ कहलाता है. इसलिए व्यक्ति को सदैव बुरी आदतों से बचना चाहिए. कैसी भी परिस्थिति हो बुरी चीजों का नहीं अपनाना चाहिए. इन आदतों से दूर रहना चाहिए.
बुरी संगत से दूर रहें
चाणक्य के अनुसार किसी व्यक्ति के बारे में यदि पता लगाना है तो उसके मित्रों को देख लें. क्योंकि व्यक्ति जिस स्वभाव और चरित्र का होता है उसके मित्र भी उसी प्रकार के होते हैं. इसलिए हमेशा अच्छी संगत में बैठना चाहिए. व्यक्ति कितना ही ज्ञानी और विद्वान क्यों न हो यदि उसकी संगत अच्छी नहीं है तो उसका ज्ञान किसी काम का नहीं है. क्योंकि संगत का असर मन और मस्तिष्क पर भी पड़ता है.
अंहकार का त्याग करें
रामायण की कथा में सभी जानते हैं कि रावण परम विद्वान था लेकिन वह अहंकारी था. अहंकार के कारण ही रावण का सब कुछ नष्ट हो गया. यहां तक की उसकी सोने की लंका भी नष्ट हो गई. चाणक्य की चाणक्य नीति भी यही कहती है कि अहंकार व्यक्ति की सफलता में सबसे बड़ी बाधा है. अहंकारी व्यक्ति से हर कोई दूरी बना लेता है. ऐसे लोगों को सम्मान भी प्राप्त नहीं होता है.
असत्य न बोलें
व्यक्ति को यदि जीवन में सफल होना है तो उसे असत्य वाणी कभी नहीं बोलनी चाहिए. झूठ बोलने वाले व्यक्ति को कोई भी सम्मान नहीं करता है. क्योंकि ऐसे लोग अपने लाभ के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं. इसलिए इस आदत और झूठ बोलने वालों से बचना चाहिए. झूठ बोलने की आदत निंदा रस कारण बन जाती है.
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