चाणक्य नीति: कोरोना वायरस से पूरा देश लड़ाई लड़ रहा है. इस समय पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है. लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया है. कोरोना वायरस से बचने का यही सरल और कारगर उपाय है. लेकिन इस बीमारी से लड़ने के लिए यही काफी नहीं है. चाणक्य नीति कहती है कि किसी समस्या से तभी निपटा जा सकता है जब लोग सकारात्मक सोच के साथ सहयोग किया है. सकारात्मक सोच से इस समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है आइए जानते हैं.
कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी के रुप में पूरी दुनिया के सामने आई है. इस महामारी से बचने के लिए जितने भी कदम भारत ने उठाए हैं उनकी पूरी दुनिया सराहना कर रही है. भारत के लोग संकट के समय अपना धैर्य नहीं खोते हैं. ऐसे में सकारात्मक सोच से ही इस बीमारी को परास्त किया जा सकता है.
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है वही राष्ट्र अपने आप को संकट की घड़ी में बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर पाता है जब उस राष्ट्र के लोग सकारात्मक सोच के साथ ऐसी विपत्ति में भेदभाव और आपासी भाईचारे को कायम रखकर पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश करते हैं.
जागरुक बनें: किसी भी राष्ट्र की स्थिति उसके जागरुक लोगों से निर्मित होती है. जिस राष्ट्र के लोग जागरुक होते हैं वहां बड़ी से बड़ी विपत्ति भी आकर चली जाती है. विपत्ति के समय जागरुकता ही सबसे बड़ा शस्त्र होती है.
संयम से लें काम: संकट आने पर संयम से काम लेना चाहिए. उस वक्त संयम की अहमियत ओर बढ़ जाती है जब संकट बड़ा हो. किसी भी सूरत में व्यक्ति को संयम को नहीं त्यागना चाहिए. संकट से बचने के लिए थोड़ी बहुत परेशानियां भी उठानी पड़े तो व्यक्ति को इनसे घबराना नहीं चाहिए ठीक उसी प्रकार से रोग दूर करने के लिए अगर कढ़वी दवा का भी सेवन करना पड़े तो परहेज नहीं करना चाहिए.
सहयोग की भावना: संकट के समय सक्षम व्यक्तिओं को सहयोग की भावना से काम करना चाहिए. सक्षम और जिम्मेदार व्यक्तिओं की भूमिका संकट के समय बड़ जाती है. इन लोगों की ऐसे ही समय परीक्षा होती है. जो लोग संकट की घड़ी में अपने आपको दूसरों के सामने आर्दश भूमिका में पेश करते है समाज और राष्ट्र ऐसे लोगों की सराहना करता है.
कठोर कदम उठाने से घबराएं नहीं: जब संकट राष्ट्र पर आ जाए तो जिम्मेदार लोगों को कठोर कदम उठाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए. राष्ट्रहित में जो भी संभव प्रयास होने चाहिए उन्हें व्यवाहारिक और तार्किक ढंग से अपनाना चाहिए. इसी में सभी की भलाई छिपी होती है.
चाणक्य नीति: बताकर नहीं आते हैं संकट और महामारी, जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी