चाणक्य नीति: बताकर नहीं आते हैं संकट और महामारी, जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी
महामारी जब आती है तो बहुत तेजी से फैलती है. महामारी फैलते ही सभी उपायों को तुरंत अपनाने की जरुरत होती है नहीं तो ये अपना असर दिखाने में समय नहीं लेती है. महामारी जब भी फैले तो चाणक्य की इन बातों को कभी नहीं भूलना चाहिए.
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चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है संकट और महामारी बताकर नहीं आते हैं. इसलिए इन स्थितियों से निपटने के लिए जितना भी समय मिले उसे पूरी सख्ती और ईमानदारी से उपयोग करना चाहिए. महामारी के समय एक भी चूक और जरा सी लापरवाही सभी की जान को खतरे में डाल सकती है.
इस समय पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहा है. कोरोना वायरस के हमले से दुनिया के सभी देश परेशान है. लाखों लोग इस घातक बीमारी से संक्रमित हैं. हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. इस वायरस को रोकने के लिए सरकार ने जनता को घरों में ही रहने के लिए कहा है. यह देश के लिए गंभीर समय है. लेकिन जब जब विपदा आई है भारत के नागरिकों ने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया है. इस समस्या का भी अंत होगा, लेकिन इसके लिए सबसे पहले निरंतर सावधानियों को अपनाते रहना है.
चाणक्य नीति के अनुसार महामारी का प्रकोप और शत्रु का आक्रमण एक जैसा ही होता है. इन दोनों ही स्थिति में घबराना नहीं चाहिए. बड़ी धैर्यता और सर्तकता के साथ इस स्थिति का सामना करना चाहिए. क्योंकि आक्रमण और महामारी किसी एक के लिए नहीं होता है इसके निशाने पर पूरा राष्ट्र और उसकी जनता होती है. इसलिए शत्रु और महामारी को कमतर नहीं आंकना चाहिए. जो लोग इस गलतफहमी में रहते है उन्हें गंभीर परिणाम उठाने पड़ते हैं. इसलिए ऐसी परिस्थिति में चाणक्य नीति की इन बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए.
स्वच्छता से दूर भगाएं महामारी को
महामारी उसी स्थान पर सबसे अधिक प्रभाव छोड़ती है जहां स्वच्छता का अभाव होता है. जैसे शत्रु सबसे पहले उसी स्थान को चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं जो सबसे कमजोर होता है. इसलिए स्वच्छता को बहुत ध्यान रखना चाहिए.
बना लेनी चाहिए दूरी
शत्रु जब अधिक ताकतवर हो तो युद्ध की रणनीति में बदलाव कर लेना चाहिए. महामारी एक ऐसा शत्रु होता है जो दिखाई नहीं देता है. इसलिए इसे परास्त करने के लिए आपस में दूरी बनाकर स्वच्छता के अस्त्र से इस पर वार करना चाहिए. समूह या भीड़ में होने पर महामारी जल्दी आक्रमण करती है.
स्वस्थ्य रहना सबसे जरुरी
महामारी को परास्त करने का सबसे पहला मंत्र स्वयं को स्वस्थ्य रखना है. महामारी जब भी फैले तो व्यक्ति को अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए. व्यक्ति का शरीर एक किले के समान होता है. किले का जब कोई दरवाजा कमजोर होता है तो शत्रु उसे तोड़कर प्रवेश करने की कोशिश करता है. इसलिए पौष्टिक आहार लेकर शरीर को इतना मजबूत बना लेना चाहिए कि महामारी छू भी न सके.
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