चाणक्य नीति: महामारी नहीं फैलती है जहां प्रकृति की होती है पूजा, छेड़छाड़ से भुगतने होते हैं बुरे परिणाम
Chanakya Niti: अपनी चाणक्य नीति में मनुष्य को प्रकृति से किस तरह से संतुलन बनाना चाहिए यह बताया गया है. चाणक्य के अनुसार प्रकृति के सरंक्षण से मनुष्य महामारी को फैलने से रोक सकता है.
Chanakya Niti In Hindi: प्रकृति से छेड़छाड़ मानव को खतरे में डालती है. चाणक्य ने भी कहा है कि प्रकृति की उपासना करनी चाहिए. मनुष्य और प्रकृति का संबंध बहुत अटूट है. जब ये प्रभावित होता है तो प्रलय आता है. महामारी घेरने लगती है. चाणक्य के अनुसार प्रकृति को चुनौती देने वाले किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए. प्रकृति ने जो भी दिया है मानव को उसका सही प्रयोग समाज हित में करना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति जब प्रकृति को चुनौती देने लगता है तो महामारी पैर पसारने लगती हैं और समय रहते मनुष्य अपनी गलतियों से सीख नहीं लेता है तो एक दिन पूरी मानव सभ्यता ही खतरे में आ जाती है.
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महामारी का खतरा
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को रहने के लिए उसी स्थान का चयन करना चाहिए जो जंगल और नदी से दूर हो. मनुष्य को उन चीजों में दखल नहीं देना चाहिए जहां जीव-जंतुओं का निवास स्थान होता है. व्यक्ति जब अपने स्वार्थों के लिए वनस्पति और जीव-जंतुओं के संतुलन को प्रभावित करने लगता है तब प्राकृतिक आपदा और महामारी का खतरा बढ़ जाता है.
चाणक्य की इन बातों को ध्यान में रखें-
हरियाली को प्रभावित न करें
मनुष्य को सदैव ही पर्यावरण के बारे में जागरुक रहना चाहिए. पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए मनुष्य को हर संभव प्रयास करने चाहिए. पर्यावरण दूषित होने से मनुष्य बीमारियों का घर बन जाता है.
नदी,तलाब का करें सरंक्षण
प्राचीन काल से ही नदी को जीवनदायनी माना गया है. इसीलिए सभ्यताओं को विकास भी नदियों के किनारे ही हुआ. नदियों की पूजा करने की परंपरा है. चाणक्य के अनुसार नदियों की पूजा करने से मनुष्य खुशहाल रहता है. यानि नदियों को प्रदूषित नहीं करना चाहिए. नदियां हमारे जलस्तर को बनाए रखने में मदद करती हैं और अन्न उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाती हैं.
पशु-पक्षियों का ध्यान रखें
पशु-पक्षी पर्यावरण के मित्र हैं इन्हें प्रभावित नहीं करना चाहिए. जब ये प्रभावित होते हैं तो पूरा परिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ने लगता है और इस नुकासान मनुष्य को भी उठाना पड़ता है. पशु-पक्षी ऐसे बहुत से जीव-जंतुओं और कीटों को अपना भोजन बनाते हैं जो मनुष्य का जीवन संकट में डाल सकते हैं या जिनसे रोग होने का खतरा बना रहता है.
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