Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य श्रेष्ठ विद्वान थे. उन्होंने मनुष्य को सुख-दुख में रहने के तौर तरीकों के बारे में बताया है. आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति मनुष्य को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है और संकटों से कैसे बचा जा सकता है इस बारे में भी ज्ञानवर्धन करती है.
चाणक्य के अनुसार विपदा, विपत्ति और संकट कभी भी आ सकती है. इसके लिए जो मनुष्य तैयार और सर्तक रहता है वह संकटों पर विजय प्राप्त करता है. संकट को लेकर उनका मानना था कि किसी भी प्रकार की परेशानी हो उसके कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए. उसका पूर्ण समाधान करना चाहिए. जो ऐसे नहीं करते हैं और संकट के समय भी लापरवाही बरतते हैं उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसलिए इन बातों का सदैव ही ध्यान रखना चाहिए-
धन की बचत
संकट के समय सच्चा मित्र धन ही होता है. जिस व्यक्ति के पास संकट के समय धन होता है उसे परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है और समय रहते वह संकटों से उभर जाता है. इसलिए व्यक्ति को धन के मामले में सदैव ही सर्तक रहना चाहिए. धन की बचत करनी चाहिए. क्योंकि संकट के समय यही धन काम आता है.
परिवार की सुरक्षा
संकट के समय परिवार की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. क्योंकि व्यक्ति के लिए उसका परिवार ही सबकुछ होता है. इसलिए उनके जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए हर प्रकार के प्रयास करने चाहिए.
संकट में सावधानी बरतनी चाहिए
संकट आने पर व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए. हर कार्य को बड़ी सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि संकट के समय व्यक्ति के पास अवसर सीमित होते हैं और चुनौती बड़ी होती है, ऐसे में जरा सी चूक बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए सावधानी बहुत ही जरुरी है.
स्वास्थ्य का रखें ध्यान
संकट के समय स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी है. क्योंकि जब स्वास्थ्य अच्छा होगा तो मन और मस्तिष्क भी पूर्ण रूप से सक्रिय रहेगा. जब ये सही तरह से कार्य करेंगे तो संकट से आसानी से लड़ सकते हैं.
संकट से निपटने के लिए रणनीति
संकट से निपटने के लिए व्यक्ति के पास ठोस रणनीति होनी चाहिए. इस रणनीति के तहत ही व्यक्ति को चरणबद्ध तरीके से कार्य करते हुए आगे बढ़ना चाहिए. जिन लोगों के पास संकट की स्थिति में बचने की रणनीति नहीं होती है उन्हें हानि उठानी पड़ती है.
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