Chanakya Niti: जीवन में व्यक्ति अपने काम और स्वभाव की वजह से समाज में सम्मान पाता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार कुछ ऐसे काम है जिन्हें एक बार में ही पूरा करना चाहिए नहीं तो व्यक्ति का सम्मान घट सकता है. नीति शास्त्र में चाणक्य ने उन 4 कामों का जिक्र किया है जो केवल एक बार में ही पूरी करना अच्छा होता है क्योंकि इन्हें दोहराने न सिर्फ व्यक्ति के सम्मान पर असर पड़ता है बल्कि ये अर्थ विहीन हो जाते हैं.


सकृज्जल्पन्तिराजान: सकृज्जल्पंतिपंडिता:


सतकृत्कन्या: प्रदीयन्तेत्रीण्येतानिसकृत्सकृत्


पहला काम


आचार्य चाणक्य ने श्लोक के जरिए बताया है कि राजा का सिर्फ एक बार ही आदेश देना सही माना गया है. अगर पहली बार में राजा के आदेश या आज्ञा का पालन न हो तो उस आदेश का सम्मान खत्म हो जाता है. आज के परिपेक्ष में देखें तो अगर घर का मुखिया या फिर लीडर की कही बातों का एक बार में पालन न हो तो इससे उसका और उसकी बातों का निरादार होता है.


दूसरा काम


चाणक्य के अनुसार पंडितों जो मंत्रोच्चारण करते हैं उन्हें पहली बार में ही अच्छे से सुन लेना चाहिए, क्योंकि उनकी प्रतिज्ञा दृढ़ रहती है. मंत्रों को दोहराने पर उनके अर्थ बदल जाते हैं. साथ ही इसे पंड़ितों का अपमान जाता है.


तीसरा काम


कन्या दान को शास्त्रों में सबसे बड़ा दान माना गया है. चाणक्य के अनुसार कन्यादान  जीवन में एक बार जरूर करना चाहिए. कन्यादान एक बार करें लेकिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ तभी इसका फल मिलता है.


चौथा काम


चाणक्य के अनुसार मनुष्य जीवन एक बार ही मिलता है. इसे व्यर्थ न जाने दें. मनुष्य योनी में जन्म लिया है तो एक अच्छे इंसान बने और मेहनत सफलता पाएं. हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहना चाहिए. कहते हैं जीतना देंगे उसका दोगुना व्यक्ति को मिलेगा इसलिए सदा अच्छे कर्म करें.


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