Chanakya Niti, Honorable People: भारतीय संस्कृति में बचपन से ही ये संस्कार दिए जाते हैं कि जो बड़े हैं, सम्मानीय लोग हैं, या वस्तुएं हैं, उन्हें कभी पैर नहीं मारना चाहिए. ऐसा करने से हम पाप के भागी बनते हैं. चाणक्य नीति भी हमें यही सिखाती है. चाणक्य की नीति जीवन को सरल और आसान बनाती है और जीवन जीने का सही तरीका बताती है.आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में ऐसे 7 लोगों का जिक्र किया है जिन्हें गलती से भी पैर नहीं लगाना चाहिए. वरना मनुष्य की आने वाली पीढ़ियों तक को दोष लगता है और धीरे-धीरे उस कुल का नाश भी हो जाता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार-
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च ।
नैव गां न कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा ।। (चाणक्य-नीतिः–०७.०६)
अर्थ - अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी, वृद्ध और शिशु इन सबको पैर से कभी नहीं छूना चाहिए ।
इन 7 लोगों को पैर न लगाएं
1- अग्नि
अग्नि को शास्त्रो में देवता का दर्जा दिया गया है. कोई भी शुभ कार्य करते समय अग्नि को साक्षी मानकर वचन लिया जाता है, यज्ञ में अग्नि प्रज्जवलित कर शुद्धिकरण किया जाता है. अग्नि के अपमान को देवता का अपमान माना जाता है. अग्नि को पैर लगने से आप जल सकते हैं. अगर गलती से पैर लग जाए तो माफी मांग लें.
2- ब्राह्मण
हमारे समाज में ब्राम्हण का दर्जा बहुत उच्च कोटी का है. शुभ कार्य में हम ब्राम्हण भोजन कराते है उनका आदर करते हैं. ब्राम्हण का तिरस्कार कभी नहीं करना चाहिए.
3- गुरु
भारतीय संस्कृति में गुरु को माता-पिता से भी बढ़कर माना गया है. गुरु का हमेशा सम्मान और आदर करना चाहिए और उनके पैर हमेशा छूने चाहिए. जो लोग गुरु का आदर नहीं करते और उनका अपमान करते है उनका सर्वनाश हो जाता है.
4- कुंवारी कन्या
कुंवारी कन्या को देवी के तुल्य समझा जाता है. इसलिए कन्या को अपना पैर भी कभी ना छूने दें
5- बुजुर्ग
घर के बड़े-बुजुर्गों का हमेशा सम्मान करना चाहिए. बुजुर्गों का अपमान करने वाले व्यक्ति के सभी ग्रह रूष्ट हो जाते हैं और अशुभ फल देने लगते हैं।
जिस घर में बड़ो का आदर नहीं होता उस घर में सुख समृद्धि नहीं होती है.
6- गाय
गाय को माता का रूप माना गया है. गाय को कभी परेशान नहीं करना चाहिए इससे घर में अशांति फैलती है. अगर गाय को गलती से पैर लग जाए तुरंत क्षमा मांग लेनी चाहिए.
7-शिशु
चाणक्य की नीतिशास्त्र के अनुसार हिंदु घर्म बच्चों को भगवान का रूप कहा जाता है. शिशु छोटे होने पर भी आदरणीय हैं,उन्हें कभी पैर से ठोकर नहीं मारनी चाहिए. शिशु का अपमान यानी भगवान का निरादर.
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