Chanakya Niti Hindi: आचार्य चाणक्य एक शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. इसलिए व्यक्ति के जीवन में धन का क्या महत्व होता है और धन कैसे मनुष्य को प्रभावित करता है इस बारे में उनका गहन अध्ययन था. इसीलिए उन्होंने धन के प्रयोग और धन संचय को लेकर कई नियमों को जिक्र अपनी चाणक्य नीति में किया है.
जब व्यक्ति के पास धन होता है तो उसके पास हर प्रकार के ससाधन होते हैं. वह अपने आपको बहुत ही भाग्यशाली और खुशहाल समझता है. धन जिसके पास होता है समाज में उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, धनवान व्यक्ति के आसपास लोगों की भीड़ लगी रहती है. धन व्यक्ति को आत्मविश्वास प्रदान करता है. जिससे वह जोखिम उठाने से नहीं घबराता है. वहीं इसके विपरीत जब व्यक्ति के पास धन नहीं होता है या फिर आर्थिक संकट घेर लेता है तो कोई उसकी मदद के लिए भी नहीं आता है. धन न होने की स्थिति में करीबी रिश्तेदार और मित्र भी संग छोड़ जाते हैं. सम्मान में भी कमी आती है. क्योकि भौतिकवादी युग में धनी होना एक श्रेष्ठ गुण के समान है.
इस बात को कभी न भूलें
जीवन में जब भी कभी धन की कमी यानि आर्थिक संकट आ जाए तो व्यक्ति को बहुत ही संयम से काम लेना चाहिए. भावावेश और जोश में आकर कभी भी कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे शर्मिंदा होने पड़े और सब कुछ दांव पर लग जाए.
धैर्य का साथ कभी न छोड़े
आर्थिक संकट किसी के भी जीवन में आ सकता है. धन कभी भी एक जगह टिकता है. जीवन में इसका आना जाना लगा रहता है. इसलिए इसके न होने पर शोक न मनाएं. जीवन में धन की पुन: प्राप्ति के लिए परिश्रम आरंभ कर देना चाहिए. धन न होने पर निराश न हों, सकारात्मक दिशा में सोचे. धन चले जाने पर जो सबसे अहम चीज है वो है धैर्य. बुरे समय में धैर्य का त्याग कभी नहीं करना चाहिए. धैर्य खोने से सबकुछ नष्ट हो सकता है. इसलिए बुरे समय के गुजर जाने का इंतजार करें.
हिम्मत न हारें
बुरा वक्त गुजरते ही पुन: प्रयास करने चाहिए. जिस प्रकार से कुल्हाड़ी से बार बार चोट करने से पुराने से पुराना विशालकाय वृक्ष भी धराशायी हो जाता है. उसी प्रकार से परिश्रम की कुल्हाडी से बुरे वक्त पर निरंतर प्रहार करते रहने से बुरा समय भी समाप्त हो जाता है.
Chanakya Niti: जीवन में ये 3 चीजें बहुत सोच समझकर ही उठानी चाहिए