Chanakya Niti: इंसान की सबसे कीमती दौलत है ये खास चीज, इसे पाने वाला हमेशा होता है सफल
Chanakya Niti: चाणक्य ने सफल जीवन के लिए एक ऐसी चीज के बारे में विस्तार से बताया है जो संसार की असली दौलत है. ये कीमती जिस जिसने पा ली वह कभी संकट में नहीं फंस सकता
Chanakya Niti: सफलता और धन हर कोई पाना चाहता है लेकिन इसे कैसे, कब, किस तरह उसे पाया जा सकता है इस बात से बहुत कम लोग ही वाकिफ हैं. चाणक्य ने सफल जीवन के लिए एक ऐसी चीज के बारे में विस्तार से बताया है जो संसार की असली दौलत है. चाणक्य कहते हैं कि ये कीमती जिस जिसने पा ली वह कभी संकट में नहीं फंस सकता, उसे हर कदम पर सफलता प्राप्त होती है. बड़े से बड़े बलवान भी ऐसे लोगों के आगे नतमस्तक हो जाता है. आइए जानते हैं मनुष्य जीवन की असली दौलत क्या है.
मनुष्य की सबसे बड़ी और असली संपत्ति है ज्ञान - चाणक्य
चाणक्य ने इस कथन में ज्ञान का मोल समझाया है. ज्ञान की मदद से व्यक्ति हर कठिनाइयों को दूर कर सफलता का रास्ता खोज लेता है. हर जगह धन काम नहीं आता वहीं ज्ञान इंसान की वह दौलत है जिसके बलबूते ही बड़े से बड़ा युद्ध बड़ी आसानी से जीता जा सकता है. आचार्य चाणक्य ने बताया था कि ज्ञानी व्यक्ति अपने पूरे कुल, समाज और देश का नाम ऊंचा करता है. ज्ञान ही इंसान की असली संपत्ति है जिसे आपने अर्जित कर लिया तो कोई भी इसे आपसे छीन नहीं सकता. जिस व्यक्ति के भीतर ज्ञान की अविरल धारा बहती है वह हर क्षेत्र में सफलता हासिल करता है.
ज्ञान की अलख दूर करती है अंधकार
ज्ञान और इच्छाशक्ति के दम पर व्यक्ति हर मुश्किल को चुटकियों में पार कर लेता है. ज्ञानी व्यक्ति के कदम जहां पड़ते हैं उसकी कीर्ति सुगंधित फूलों की महक की तरह फैल जाती है. बलवान, धनवान हर कोई ज्ञानी व्यक्ति का मुरीद होता है. चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान अर्जित करने का न तो कोई समय होता है न ही उम्र. ये जहां से मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति हर हाल में जीतता है फिर चाहे हालात कैसे भी हो. ज्ञान व्यक्ति अपना वक्त जाया नहीं करता, वह खुद तो अपना समय अच्छे कार्य में लगाता है साथ ही दूसरों को भी अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है.
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः ।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते ।।
इस श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि ज्ञान क्यों सर्वश्रेष्ठ और सबसे कीमती दौलत है. चाण्क्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति की पूछ-परख सिर्फ उसके घर पर होती है. वहीं एक मुखिया की पूजा उसके गांव में होती है. राजा को केवल उसके राज्य में मान-सम्मान मिलता है लेकिन विद्वानों और ज्ञानियों की ख्याति पूरे संसार में होती है. उन्हें हर क्षेत्रों में पूजा जाता है.
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