Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार कार्यस्थल पर जो लोग सभी को साथ लेकर चलते हैं वे हमेशा प्रशंसा पाते हैं. जो लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं वे योग्य होने के बाद भी सम्मान नहीं प्राप्त कर पाते हैं. ऐसे लोग बाद में कुंठित हो जाते हैं और अपनी कार्य क्षमता को नष्ट कर लेते हैं. इसलिए चाणक्य की इन बातों को सदैव ध्यान में रखना चाहिए.


आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति कितना ही प्रतिभावान क्यों न हो अगर उसमें लोगों से सहयोग लेने की भावना नहीं है तो वह अपने कार्य में कभी भी सफल नहीं हो सकता है. ऐसे लोगों का परिश्रम व्यर्थ जाता है. क्योंकि कार्य को पूरा करने के लिए सभी के सामूहिक प्रयासों का बहुत महत्व होता है. इस प्रयास में कोई भी व्यक्ति जब सहयोगात्मक शैली नहीं अपनता है तो उस कार्य को पूरा करने में बाधा आती है.


एक दूसरे का सम्मान करें: कार्य स्थल पर जब कोई कार्य मिलता है तो उसे अकेले पूरा नहीं किया जा सकता है. इसमें अन्य सहयोगियों की भी आवश्यकता होती है. अन्य लोगों से तभी कार्य को पूर्ण कराया जा सकता है जब सभी के सम्मान का ध्यान रखा जाए. एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे अपनाए बगैर कोई कार्य नहीं किया जा सकता है. सम्मान देने से ही सम्मान प्राप्त होता है. इस बात का सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए.


प्रेरित करना: कार्य स्थल पर साथ में काम करने वाले सभी सहयोगियों को बेहतर करने के लिए निरंतर प्रेरित करते रहें. एक दूसरे की प्रेरणा बनकर ही कार्य को सफल बनाया जा सकता है. जहां पर यह स्वस्थ्य परंपरा होती हैं वहां पर उच्चपदों पर आसीन व्यक्तिओं को अधिनस्थों से पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है.


प्रतिभा को अवसर प्रदान करें: हर व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है. जो शीर्ष पर हैं उन्हें अपने सहयोगियों की प्रतिभा का पूरा ज्ञान होना चाहिए. प्रतिभा के मुताबिक कार्य की जिम्मेदारी प्रदान करने से कार्य को समय से पूरा करने में मदद मिलती है और उसकी गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है.


मर्यादा का ध्यान रखें: कार्य स्थल पर कार्य करते हुए मर्यादा का पालन करना बहुत ही जरुरी है. मर्यादा का पालन न होने से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है और दबाव बढ़ जाता है जिससे कार्य के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. कार्य करते हुए कभी मर्यादा की सीमा नहीं लांघनी चाहिए. जो ऐसा करते हैं उन्हें गंभीर परिणाम उठाने पड़ते हैं.


अनुशासन: किसी भी कार्य को बेहतर ढंग से करने के लिए अनुशासन बहुत ही जरुरी है. अनुशासन में रहकर ही कार्य को बेहतर बनाया जा सकता है. स्वयं को अनुशासित बनाएं इससे आपके सहयोगियों में भी अनुशासन की भावना जाग्रत होगी जिससे कार्य स्थल पर एक सुखद वातावतरण का निर्माण होगा.


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