Chanakya Niti : चाणक्य नीति जीवन को जीने की कला सिखाती है. चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ साथ अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ भी थे. वे एक अच्छे सलाहकार भी थे. उनकी शिक्षाएं और दर्शन की झलक चाणक्य नीति में दिखाई देती है. चाणक्य नीति की शिक्षाओं को जीवन में जो व्यक्ति आत्मसात कर लेता है उसे जीवन के कठिन से कठिन मोड़ पर भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है. क्योंकि चाणक्य नीति व्यक्ति के व्यवाहारिक ज्ञान में बढ़ोत्तरी करती है. यही वजह है कि चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक है.


बच्चों से मित्रों की तरह व्यवहार करना चाहिए


चाणक्य नीति के अनुसार जब बच्चे किशोर हो जाएं तो पिता को उनके साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए. किशोर अवस्था में बच्चों की मनोदशा बड़ी तेजी बदलती है. किशोरावस्था में बच्चे का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है. ऐसे में वे बड़ी तेजी से अपने आसपास की चीजों को समझने लगते हैं और उस पर अपनी राय भी बनाने लगते हैं. किशोरावस्था में बच्चों को बड़े ही प्यार से समझाने की जरूरत होती है.  बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं. हर चीज के लिए न टोकें. अगर वे गलत दिशा में जा रहे हैं तो उन्हे विनम्रता से समझाएं, उनके समाने उस कार्य के नकारात्मक पक्ष को रखें. किशोरावस्था में बच्चे के भीतर स्वयं सीखने की प्रवृत्ति जागृत होने लगती है. इस स्वाभाविक परिवर्तन को समझें और बच्चों के साथ मित्रों की तरह बात करें. संवाद की प्रक्रिया किसी भी तरह से बाधित न होने दें. अगर ऐसा करते हैं तो संतान की नजरों में पिता का सम्मान बढ़ता है और उन्हें जिम्मेदारी का बोध होने लगता है. बच्चों के सामने सदैव श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए. ताकि वे उनसे प्रेरणा ले सकें.


चोरी की आदत व्यक्ति का नाश कर देती है


किसी भी प्रकार की चोरी अच्छी नहीं होती है. चोरी की प्रवृत्ति से बचना चाहिए. चोरी सिर्फ धन की ही नहीं होती है. चोरी व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करती है. व्यक्ति स्वयं को कमजोर समझने लगता है. वह स्वयं की नजरों में भी गिर जाता है. चोरी छोटी या बड़ी हो ये चोरी ही कहलाती है. दूसरे की वस्तु को लेकर कभी भी लालच नहीं करना चाहिए. चोरी से उस चीज को पाने की इच्छा व्यक्ति को राजकीय दंड का भागी भी बनाती है. चोरी को एक अपराध माना गया है. पकड़े जाने या चोरी के खुल जाने पर व्यक्ति को दंड और अपयश का भी सामना करना पड़ता है.


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