आचार्य चाणक्य की सैन्य टुकड़ियों में सभी कलाओं से निपुण लोग भी होते थे. अति गोपनीय और महत्वपूर्ण कार्याें के लिए प्रशिक्षित महिलाएं और युवतियां भी उनके चंद्रगुप्त के सैन्य दल का हिस्सा होती थीं.


चाणक्य के अनुसार महिलाओं में साहस का प्रतिशत पुरुषों से छह गुना अधिक होता है. इसी कारण उनके नेतृत्व में संभवतः पहली विषकन्याओं का चलन आरंभ हुआ. विषकन्याएं वे प्रतिशित सैन्य सेविकाएं होती थीं जो साहस से दुश्मन टुकड़ी का हिस्सा होकर अकेले तय लक्ष्य को पूरा करने में जुट जाती थीं.


आचार्य चाणक्य का राजनीतिक और प्रशासनिक कार्याें के गोपनीय विभागों में महिलाओं को पदस्थ कराया करते थे. यहां उन्हें अधिक जोखिम पूर्ण निर्णय लेने होते थे. ये तो हम सभी जानते हैं कि राजनीति में दिखाया कुछ और जाता है, किया कुछ और. इसमें पारंगत साहसी महिलाओं को विभिन्न विभागों से जोड़ा जाता था.


महिलाओं के साहसिक कारनामों से ही चाणक्य छोटी सैन्य टुकड़ियों के बावजूद तत्कालीन तमाम बड़े साम्राज्यों को ध्वस्त करने में सफल रहे. आचार्य ने महिलाओं में साहस को छह गुना ज्यादा बताने के साथ माना है कि उनमें लज्जा का गुण भी चार गुना ज्यादा होता है. साहस और लज्जा जैसे महत्वपूर्ण गुण स्त्रियों में अधिक होते हैं. लज्जा से आशय सामाजिक और पारिवारिक सम्मान से है. निर्ल्लज होना पुरुषों की बड़ी कमी है. लज्जा से विनम्रता भी आती है। स्त्रियां विनम्रता में भी पुरुषों से आगे होती हैं.